प्राचीन भारत में कई राजवंशो का उदय हुआ । इनमें से कई राजवंशो ने कई समय तक शासन किया ।
आज के इस आर्टिकल में प्राचीन भारत के राजवंशो, उनके संस्थापक, अंतिम शासक एवं उनकी राजधानी (Bharat ke pramukh rajvansh, unke sansthapak aur rajdhani) के विषय में जानकारी दी गयी है । इसके साथ ही परीक्षाओ में आने वाली महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गयी है l
प्रतियोगी परीक्षाओं में प्राचीन भारतीय राजवंशो से सम्बंधित प्रश्न अवश्य आता है अतः यह आर्टिकल आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है ।
भारत के प्रमुख राजवंशो के संस्थापक, अंतिम शासक, एवं राजधानी
भारत के प्राचीन राजवंशो (Bharat ke pracheen rajvansh) की सूची -
मगध के राजवंशो का उदय
मगध पर निम्नलिखित राजवंशो ने शासन किया l
बृहद्रथ राजवंश
संस्थापक: बृहद्रथ
राजधानी: गिरिब्रज (राजगृह)
अंतिम शासक: राजा रिपुंजय
- जरासंध, बृहद्रथ का पुत्र था ।
- राजा रिंपुजय की हत्या उसके प्रधानमत्री पुलिक ने कर दी और उसके पुत्र प्रद्योत ने नए राजवंश प्रद्योत राजवंश की स्थापना की ।
प्रद्योत राजवंश
संस्थापक: प्रद्योत
अंतिम शासक: वर्तिवर्धन
हर्यक वंश (544 -413 ई.पू)
संस्थापक: बिम्बिसार
राजधानी: राजगृह
अन्तिम शासक: नागदशक
- बिम्बिसार ने ब्रह्मदत्त को हराकर अंग राज्य को मगध में मिलाया ।
- इसने कौशल, वैशाली और मद्र से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये ।
- यह प्रथम भारतीय राजा था जिसने प्रशासनिक व्यवस्था पर बल दिया ।
- यह बौद्ध धर्म का अनुयायी था ।
- बिम्बिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने की थी ।
- अजातशत्रु का उपनाम कुणिक था ।
- अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उदयिन ने की थी ।
- उदयिन ने पाटलिग्राम (पाटलिपुत्र) की स्थापना की और उसे अपनी राजधानी बनाया ।
- अजातशत्रु और उदयिन जैन धर्म के अनुयायी थे ।
- हर्यक वंश के अंतिम शासक नागदशक की हत्या उसके अमात्य शिशुनाग ने कर दी और मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना की ।
शिशुनाग वंश (413-345 ई.पू)
संस्थापक: शिशुनाग
राजधानी: वैशाली
अन्तिम शासक: नन्दिवर्धन (महानंदी)
- शिशुनाग का पुत्र कालाशोक था जिसने राजधानी को वैशाली से पुनः पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया ।
- कालाशोक के शासनकाल में 383 ई.पू. में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन वैशाली में किया गया था ।
- शिशुनाग वंश को समाप्त कर महापद्मनन्द ने इस पर कब्ज़ा कर लिया और नन्द वंश की स्थापना की ।
- भारत के प्रमुख बाँध l Bharat ke Pramukh Baandh
नन्द वंश (345-322 ई.पू)
संस्थापक: महापद्मनन्द
राजधानी: पाटलिपुत्र
अन्तिम शासक: धनानंद
- महापद्मनन्द को “सर्वक्षत्रान्तक” अर्थात सभी क्षत्रियों का नाश करने वाला, “उग्रसेन” अर्थात विशाल सेना का मालिक और “एकराट” कहा गया है जिसका अर्थ एकमात्र सम्राट होता है।
- इसे "भारतीय इतिहास का पहला साम्राज्य निर्माता" के रूप में जाना जाता है ।
- धनानंद के शासनकाल के दौरान 326 ईसा पूर्व में उत्तर-पश्चिम भारत पर सिकंदर का आक्रमण हुआ था ।
- नन्द वंश के अंतिम शासक धनानंद को चन्द्रगुप्त मौर्य ने हराकर गद्दी से हटा दिया और मगध पर नए वंश मौर्य वंश की स्थापना की ।
मौर्य वंश (322-185 ई.पू)
संस्थापक: चन्द्रगुप्त मौर्य
राजधानी: पाटलिपुत्र
अन्तिम शासक: ब्रह्द्रथ
चन्द्रगुप्त मौर्य
- चाणक्य (विष्णुगुप्त/कोटल्य) चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री थे ।
- अर्थशास्त्र नामक पुस्तक चाणक्य ने लिखी है जो राजनीति से सम्बंधित है ।
- चन्द्रगुप्त जैन धर्म का अनुयायी था l इसने जैन गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की शिक्षा ली थी ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस निकेटर को हराया था l इस युद्ध का वर्णन एप्पियानस ने किया था l
- पुत्री कार्नेलिया से शादी से शादी की और सन्धि शर्तो के अनुसार काबुल, कंधार, हेरात और मकरान चन्द्रगुप्त को दे दिए गए
- इंडिका नमक पुस्तक मेगास्थनीज ने लिखी थी जो कि सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था .
- चन्द्रगुप्त की मृत्यु श्रवणबेलगोला में उपवास द्वारा हुई थी l
- विश्व की 10 सबसे बड़ी झीलें कौन सी है
सिकंदर
- सिकंदर का पिता फिलिप मकदूनिया का शासक था ।
- सिकंदर अरस्तु का शिष्य था ।
- सिकंदर ने 326 ई.पू में भारत विजय का अभियान शुरू किया था ।
- सिकंदर का सेनापति सेल्यूकस निकेटर था ।
- हाइडेस्पीज या झेलम (वितस्ता) का युद्ध सिकंदर और पंजाब के शासक पोरस के बीच हुआ था l
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बिन्दुसार
- बिन्दुसार, चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र था l
- इसे वायु पुराण में भद्रसार और जैन साहित्य में सिंहसेन कहा गया है।
- यूनानी लेखक ने इन्हें अमित्रोचेट्स (अमित्रघात = शत्रुओं का नाश करने वाला ") कहा है।
- बिन्दुसार अजीवक संप्रदाय का अनुयायी था l अजीवक संप्रदाय के संस्थापक मक्खलिपुत्र गोसाल थे l
- बिन्दुसार के दरबार में सीरिया के राजा एंटीयोकस प्रथम ने डाइमेकस नामक राजदूत भेजा था।
- बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिला में दो विद्रोह हुए जिन्हें दबाने के लिए बिन्दुसार ने पहले सुसीम और बाद में अशोक को भेजा l
अशोक
- अशोक, बिन्दुसार का पुत्र था l
- राजगद्दी पर बैठने के समय अशोक अवन्ती का राज्यपाल था l
- पुराणों में अशोक को अशोकवर्धन कहा गया है l
- सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म मे उपगुप्त ने दीक्षित किया था।
- अशोक के दरबार में मिश्र के राजा फिलाडेल्फस (टॉलमी ll) ने डीयानिसियस नामक राजदूत भेजा था।
- 13 वे शिलालेख के अनुसार अशोक ने कलिंग पर आक्रमण कर उसकी राजधानी तोसली पर अधिकार कर लिया l
- भारत में शिलालेखो का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने किया था l
- अशोक के शिलालेखो में ब्राह्मी, खारोष्ठी, ग्रीक और अरमाइक भाषा का प्रयोग किया गया है l
- अशोक के शिलालेखो की खोज सर्वप्रथम 1750 में पाद्रेटी फेंथैलर ने की थी l
- अशोक के शिलालेखो को पढ़ने में पहली सफलता जेम्स प्रिन्सेप को हुई थी l
- अशोक के शिलालेखो की संख्या 14 और स्तंभ लेखो की संख्या 7 है l
- कौशाम्भी अभिलेख को “रानी का अभिलेख” भी कहा जाता है l
- अशोक का 7 वां अभिलेख सबसे लम्बा है l
- सबसे छोटा स्तम्भ लेख रुम्मिदेई था l
- मौर्य वंश का अंतिम शासक ब्रह्द्रथ था जिसकी हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने करके मगध पर शुंग वंश की स्थापना की l
- भारत के प्रमुख जलप्रपात सूची l Bharat ke Pramukh Jalprapat
शुंग वंश (185 – 73 ई.पू)
संस्थापक:पुष्यमित्र शुंग
राजधानी: विदिशा
अंतिम शासक: देवभूति
- पुष्यमित्र शुंग ने यवनों के आक्रमण का सामना किया था इसने इंडो यूनानी शासक मिनांडर को पराजित किया था l
- शुंगवंशीय राजा ब्राह्मण धर्म के अनुयायी थे
- भरहुत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया था l
- शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति को उसके सचिव वासुदेव कण्व द्वारा मगध की गद्दी से 73 ई.पू मे हटाकर कण्व वंश की स्थापना की।
कण्व वंश (73 – 28 ई.पू)
संस्थापक:वासुदेव
राजधानी: पाटलिपुत्र
अंतिम शासक: सुशर्मा
- सुशर्मा की हत्या कर शिमुक ने सातवाहन वंश की स्थापना की l
सातवाहन वंश (60 ई.पू – ल. 220 इस्वी)
संस्थापक:शिमुक
राजधानी: प्रतिष्ठान
अंतिम शासक: पुलमावी चतुर्थ
- आंध्र राजवंश और आंध्र-सातवाहन राजवंश भी कहा गया हैं।
- सातवाहन राजवंश के द्वारा अजन्ता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण किया गया था।
- हाल एवं गुनाडय सातवाहन शासको के समय प्रसिद्ध साहित्यकार थे l हाल ने गाथासप्तशती और गुनाडय ने वृहतकथा नामक पुस्तके लिखी l
- सातवाहन राजाओं ने चांदी, तांबे, सीसे, पोटीन और कांसे के सिक्कों का प्रचलन किया।
- ब्राह्मणों को 'भूमि दान' देने की प्रथा सबसे पहले सातवाहन राजाओं ने शुरू की थी, जिसका उल्लेख नानाघाट शिलालेख में मिलता है।
- सातवाहनो की राजकीय भाषा संस्कृत और प्राकृत थी जो ब्राह्मी लिपि में लिखी जाती थी l
- सातवाहनो के समय अमरावती कला का विकास हुआ l
- सातवाहन शासको ने उत्तर एवं दक्षिण भारत के बीच सेतु का काम किया l
- क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के 10 सबसे बड़े राज्य
भारत में यवन राज्यों का उदय
भारत पर आक्रमण करने वाले विदेही आक्रमणकारियो का क्रम कुछ इस प्रकार है - हिन्द यूनानी, शक, पल्लव और कुषाण l
हिन्द यूनानी शासक
संस्थापक: डेमीट्रियस
राजधानी: प्रतिष्ठान
अंतिम शासक: स्ट्रेटो III
- भारत पर सबसे पहले यवन आक्रमण बेक्ट्रिया के शासक डेमीट्रियस ने किया था l
- इसने अफगानिस्तान, पंजाब एवं सिंध पर अपना कब्ज़ा कर लिया l
- इसने शाकल (स्यालकोट) को अपनी राजधानी बनाया l
- सबसे विख्यात शासक मिनांदर था l इसने नागसेन से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी l
- मिनांदर के प्रश्न और नागसेन के उत्तर मिलंदपन्हो नामक पुस्तक में संग्रहीत है l
- भारत में सबसे पहले सोने के सिक्के हिन्द यूनानियो द्वारा चलाये गए l
- हेलिस्टिक आर्ट हिन्द यूनानियो की देन है, भारत में गंधार कला इसका उत्तरम उदहारण है l
शक वंश
संस्थापक: मोअ
राजधानी: तक्षशिला
अंतिम शासक: रुद्रसिंह III
- शको का सबसे प्रतापी रुद्रदामन प्रथम था l
- रुद्रदामन प्रथम को संस्कृत कला और साहित्य के सुधारक के रूप में जाना जाता है।
- यह संस्कृत में लिखा एक लंबा शिलालेख (गिरनार अभिलेख) जारी करने वाले पहले शासक भी थे, इससे पहले के सही अभिलेख आमतौर पर प्राकृत भाषा में लिखे थे।
- उनका सबसे प्रसिद्ध योगदान चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा निर्मित काठियावाड़ जिले में स्थित सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार कार्य है।
- अंततः गुप्त साम्राज्य के चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शक शासक रुद्रसिंह III को पराजित करके शकों का राज्य समाप्त कर दिया l
- शको पर विजय के उपलक्ष में 58 ईसा पू. में एक नया संवत् विक्रम संवत के नाम से प्रारंभ हुआ l
कुषाण वंश
संस्थापक: कुजुल कडफिसेस
राजधानी: पुरुषपुर/पेशावर
अंतिम शासक: वासुदेव
- कुषाण वंश का सबसे महान राजा "कनिष्क" था जिसने 78 ईस्वी में "शक संवत" शुरू किया था जिसे भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है l
- कुषाणों की द्वितीय राजधानी मथुरा थी l
- कनिष्क बौद्ध धर्म के महायान शाखा का अनुयायी था l
- कुषाण शासको ने सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के जारी किये l
- चरक, वसुमित्र, अश्वघोष, और नागार्जुन आदि कनिष्क के दरबार में रहते थे l
- चरक ने चरकसंहिता की रचना की है l
- अश्वघोष ने बुद्धचरित की रचना की जिसे बौद्धों की रामायण कहते है l
- नागार्जुन ने माध्यमिक सूत्र की रचना की जिसमे उसने सापेक्षता का सिद्वांत दिया है l
- नागार्जुन को भारत का आइन्स्टीन कहा जाता है l
- कुषाणों के काल में ही बुद्ध की खड़ी प्रतिमा का निर्माण हुआ l
- गंधार और मथुरा शैली का विकास कनिष्क के शासनकाल में हुआ l
- भारत के सर्वाधिक जनसँख्या वाले 10 राज्यों की सूची
संगम युग का उदय
- लगभग तीन सौ ईसा पूर्व से तीन सौ ईस्वी के बीच की अवधि को संगम काल के नाम से जाना जाता है।
- प्राचीन समय में पांड्य शासको के संरक्षण में तीन संगम (तमिल कवियों का समागम) आयोजित हुए इनमे संकलित साहित्य को संगम साहित्य की संज्ञा दी गयी l
- प्रथम संगम मदुरै में आयोजित किया गया था। इस संगम की अध्यक्षता अगस्त्य ने की थी l इस संगम का कोई साहित्यिक ग्रंथ उपलब्ध नहीं है।
- दूसरा संगम कपाटपुरम् में आयोजित किया गया था l इस संगम की अध्यक्षता भी अगस्त्य ने की थी l इस संगम का एकमात्र तमिल व्याकरण ग्रंथ तोलकाप्पियम् ही उपलब्ध है जिसकी रचना तोल्काप्पियर ने की थी।
- तीसरा संगम भी मदुरै में हुआ था। इस संगम की अध्यक्षता भी नक्किरर ने की थी l इस संगम के अधिकांश ग्रंथ नष्ट हो गए थे। इनमें से कुछ सामग्री समूह ग्रंथों या महाकाव्यों के रूप में उपलब्ध है।
- संगम साहित्य मुख्य रूप से तमिल भाषा में लिखा गया है l संगम युग के प्रमुख ग्रंथो में तिरुवल्लुवर की कुराल, इलांगो की शिल्पदिकाराम, सीतलैसत्तनार की मनीमेकलै, तिरुत्तक्क देवर की जीवकचिंतामणि, तोल्काप्पियर की तोलकाप्पियम् और तिरुवल्लुवर की तिरुकुरल आदि प्रसिद्ध है l
- संगम साहित्य से हमें तमिल प्रदेश के तीन राज्यों चोल, चेर और पाण्डय शासकों का विवरण मिलता है l इनमे से ससे शक्तिशाली राज्य चोलो का था l
- उत्तर पूर्व में चोल, दक्षिण पश्चिम में चेर और दक्षिण पूर्व में पांड्य राज्य स्थित था l
चेर राज्य
- चेरो का राज्य वर्तमान केरल और तमिलनाडु राज्यों के आस पास था l
- चेरो की राजधानी वांजी थी l
- चेरों का प्रतीक चिह्न "धनुष-बाण" था।
- चेरों के सबसे महान राजा शेनगुटटवन (सेंगुत्तुवन) थे l
चोल राज्य
- चोल राज्य क्षेत्र वर्तमान तमिलनाडु का मध्य और उत्तरी भाग है।
- चोलों की राजधानी उरैयूर (तिरुचिरापल्ली के पास) थी।
- उसने पुहार या कावेरीपत्तनम शहर की स्थापना की और अपनी राजधानी उरैपुर से कावेरीपत्तनम में स्थानांतरित की।
- इनका प्रतीक चिह्न बाघ था।
- चोलों के पास एक कुशल नौसेना भी थी।
- चोलो का सबसे प्रतापी राजा करिकल था l
- करिकाल ने पाण्ड्य तथा चेर सहित ग्यारह राजाओं को पराजित किया था।
- अरिकमेदु चोल वंश का एक प्रमुख बंदरगाह था l
पाण्ड्य राज्य
गुप्त साम्राज्य (240 ई.–550 ई)
संस्थापक: श्रीगुप्त
राजधानी: पाटलिपुत्र
अंतिम शासक: विष्णुगुप्त
- गुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग माना जाता है l
- गुप्त वंश का प्रथम प्रमुख सम्राट चन्द्रगुप्त I था l
- चंद्रगुप्त ने गुप्त संवत् की स्थापना 319–320 ई. में की थी। गुप्त संवत् तथा शक संवत् के मध्य 241 वर्षों का अंतर था।
- चाद्रगुप्त I के बाद उसका पुत्र समुद्रगुप्त गद्दी पर बैठा जिसने आर्यावर्त के 9 और दक्षिणावर्त के 11 शासको को पराजित किया l इन्ही विजयो के कारण इसे भारत का नेपोलियन कहा जाता है l विंसेट स्मिथ ने इन्हें नेपोलियन की उपाधि दी थी l
- हरिषेण, समुद्रगुप्त का मन्त्री एवं दरबारी कवि था इसने प्रयाग प्रशस्ति लेख की रचना की थी l
- समुद्रगुप्त के बाद उसका पुत्र चन्द्रगुप्त II गद्दी पर बैठा l इसी के शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाहियान आया था l
- चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल कला-साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है।
- शको पर विजय के उपलक्ष में चन्द्रगुप्त II ने चांदी के सिक्के चलाये थे l
- कालिदास और धन्वन्तरी जैसे विद्वान चन्द्रगुप्त II के दरबार में रहते थे l
- कालिदास द्वारा रचित अभिज्ञानशाकुंतलम द्वितीय भारतीय रचना है जिसका अनुवाद यूरोपीय भाषा में हुआ l प्रथम रचना जिसका यूरोपीय भाषा में अनुवाद हुआ - भगवतगीता l
- धन्वन्तरी को आर्युवेद का जनक माना जाता है l
- चन्द्रगुप्त II के बाद उसका पुत्र कुमारगुप्त गद्दी पर बैठा l
- नालंदा विश्विद्यालय की स्थापना कुमारगुप्त के शासनकाल में हुई ती l
- कुमारगुप्त के समय हूणों का आक्रमण हुआ था l
- स्कंदगुप्त ने पुष्यमित्र को पराजित किया था l
- स्कंदगुप्त ने मौर्यकाल में बनी गिरनार पर्वत पर स्थित सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार भी करवाया।
- गुप्त राजाओ ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राए जारी की l
- भानुगुप्त के एरण अभिलेख से सर्वप्रथम किसी के सती होने का प्रमाण मिलता है l
- गुप्त शासक वैष्णव धर्म के अनुयायी थे विष्णु का वाहन गरुण गुप्तो का राजचिह्न था l
- पंचतंत्र को संसार का सबसे प्रचलित ग्रन्थ माना जाता है जिसकी रचना विष्णु शर्मा द्वारा गुप्तकाल में की गयी थी l
- आर्यभट्ट ने आर्यभट्टीयम और सूर्य सिद्वांत नाम पुस्तक लिखी थी l
- वराहमिहिर ने वृहतसंहिता और पंचसिद्वांत नामक पुस्तक लिखी l
- ब्रह्मगुप्त ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्वांत दिया था l
- गुप्त काल में चांदी के सिक्को को रुप्यका कहा जाता था l
- मंदिर बनाने की कला का विकास गुप्त काल में हुआ था l
- मृच्छकटिकम नामक नाटक की रचना शूद्रक ने की थी l
वाकाटक वंश
संस्थापक: विन्ध्यशक्ति
राजधानी:
अंतिम शासक: पृथ्वीसेन II
- विन्ध्यशक्ति के पुत्र प्रवरसेन के शासनकाल में वाकाटक साम्राज्य दो शाखाओ में विभक्त हो गया था - प्रधान शाखा तथा बासीम शाखा l
- चन्द्रगुप्त II ने अपनी पुत्री प्रभावती की विवाह रुद्रसेन II से कराया था l
बासीम शाखा
संस्थापक: सर्वसेन
राजधानी:
अंतिम शासक: हरिषेण
पुष्यभूति या वर्धन वंश (6वीं -7वीं शताब्दी)
संस्थापक: पुष्यभूति
राजधानी: थानेश्वर
अंतिम शासक: हर्ष
- इस वंश की स्वतंत्रता का जनक प्रभाकरवर्धन था इसके दो पुत्र राज्यवर्धन और हर्षवर्धन थे और एक पुत्री राजश्री थी l
- राजश्री का विवाह कन्नौज के मौखरी राजा ग्रहवर्मा से हुआ था जिसकी हत्या मालवा के शासक देवगुप्त ने कर दी थी l
- देवगुप्त की हत्या राज्य वर्धन ने कर दी थी परन्तु गौड़ नरेश शशांक ने धोखे से राज्यवर्धन की हत्या कर दी l
- शशांक ने बोधिवृक्ष को कटवा दिया था l
- हर्ष ने शशांक की हत्या कर कन्नौज पर अधिकार कर लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया l
- चीनी यात्री हेन्सांग हर्ष के शासनकाल में भारत आया था l
- नर्मदा नदी के तट पर हर्ष और पुष्यमित्र शुंग के बीच में युद्ध हुआ था जिसमे हर्ष को हार का सामना करना पड़ा l
- बाणभट्ट, हर्ष के दरबारी कवि थे जिन्होंने कादंबरी और हर्षचरित की रचना दी थी l
- हर्षचरित में प्रांतीय शासक के लिए लोकपाल शब्द का प्रयोग किया गया है l
- हर्ष ने प्रियदर्शिनी, रत्नावली और नागानंद नामक तीन संस्कृत नाटको की रचना की थी l
- क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा एवं सबसे छोटा राज्य कौन सा है-
दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश
पल्लव वंश (द्वितीय शताब्दी–9वीं शताब्दी ई.)
संस्थापक: सिंहविष्णु
राजधानी: कांची (तमिलनाडु का कांचीपुरम)
अंतिम शासक: कंप वर्मा
- मामल्लपुरम (महाबलीपुरम) में आदि वराह मंदिर का निर्माण सिंहविष्णु का करवाया था l
- किरातार्जुनीयम के लेखक भारवि सिंहविष्णु के दरबार में रहते थे l
- सिंहविष्णु के बाद महेन्द्रवर्मन गद्दी पर बैठा जिसने मतविलास प्रहसन की रचना की l
- नरसिंह वर्मन I ने महाबलीपुरम के एकाशम मंदिर जिन्हें रथ कहा जाता है का निर्माण करवाया था l
- नरसिंह वर्मन I के शासनकाल में चीनी यात्री हेन्त्सांग कांची आया था l
- नरसिंह वर्मन II के शासनकाल में अरबो का आक्रमण हुआ था l
- नरसिंह वर्मन II ने कांची के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था जिसे राजसिद्देश्वर मंदिर भी कहा जाता है l इसी मंदिर के निर्माण से द्रविण स्थापत्य कला की शुरुआत हुई थी l
- महाबलीपुरम के शोर मंदिर का निर्माण भी नरसिंह वर्मन II ने करवाया था l
- दश्कुमारचरितं के लेखक दंडी नरसिंह वर्मन II के दरबार में रहते थे l
- वैष्णव संत तिरुमल्लाई अलवार नन्दिवर्मन के समकालीन थे l
चोल वंश (300 ई.पू.–1279)
संस्थापक: विजयालय
राजधानी: तन्जाय (तंजौर)
अंतिम शासक: राजेंद्र तृतीय
- चोलो का स्वतंत्र राज्य आदित्य I ने स्थापित किया था l
- पल्लवों पर विजय पाने के उपलक्ष में आदित्य प्रथम ने कोदंडराम की उपाधि धारण की थी l
- राष्ट्रकूट सम्राट् कृष्ण तृतीय द्वारा द्वारा चोल शासक परातंग I को पराजित किया गया था
- राजराज I ने तंजौर में राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था l
- राजराज I ने श्रीलंका पर आक्रमण किया था l
- चोल साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार राजेन्द्र प्रथम के शासनकाल में हुआ था l
- राजेन्द्र प्रथम ने बंगाल के पाल शासक महिपाल को पराजित करके गंगेकोडचोल की उपाधि धारण की थी l
- महमूद गजनी राजेन्द्र प्रथम का समकालीन था l
- स्थानीय स्वशासन चोल साम्राज्य की प्रमुख विशेषता थी l
- चोल काल में सोने के सिक्को को कलंजू कहते थे l
- कावेरीपत्तनम चोल साम्राज्य का महत्वपूर्ण बंदरगाह था l
- विष्णु के उपासक अलवार और शिव के उपासक नयनार कहलाते थे l
- पर्सी ब्राउन ने तंजौर के वृह्देश्वर मंदिर के विमान को भारतीय वास्तुकला का निकष माना है l
- चोल कांस्य प्रतिमाओं को विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रतिमाओं में से एक माना जाता है।
- चोलकालीन नटराज प्रतिमा को चोल काल का सांस्कृतिक सार या निचोड़ कहा गया है l
चालुक्य वंश (कल्याणी)
संस्थापक: तैलप II
राजधानी: मान्यखेत
अंतिम शासक:
- सोमेश्वर ने मान्यखेत से राजधानी हटाकर कल्याणी को बनाया था l
- इस वंश का सबसे प्रतापी शासक विक्रमादित्य VI था l
- विल्हण और विज्ञानेश्वर विक्रमादित्य VI के दरबार में रहते थे l
- विल्हण ने विक्रमांकदेवचरित और विल्हण ने मिताक्षर की रचना की l
चालुक्य वंश (वातापी)
संस्थापक: जयसिंह
राजधानी: वातापी
अंतिम शासक: कीर्तिवर्मन II
- इस वंश के शासक पुलकेशन II ने हर्षवर्धन को हराया था l
- पुलकेशन II को नरसिंहवर्मन प्रथम ने हराया था l
- एहोल अभिलेख का का सम्बन्ध पुलकेशन II से था जिसकी रचना रविकीर्ति ने की थी l
- एहोल को मंदिरों का शहर कहा जाता है l
- इस वंश के अन्तिम शासक कीर्तिवर्मन II को उसके सामंत दन्तिदुर्ग ने पराजित कर एक ने वंश राष्ट्रकूट वंश की स्थापना की l
चालुक्य वंश (बेंगी)
संस्थापक: विष्णुवर्धन
राजधानी: बेंगी
अंतिम शासक:
राष्ट्रकूट वंश (735–982)
संस्थापक: दन्तिदुर्ग
राजधानी: मान्यखेत
अंतिम शासक: कृष्ण III
- कृष्ण प्रथम (लगभग 756 से 773) ने एलोरा में चट्टान को काटकर कैलाश मंदिर बनवाया।
- ध्रुव राष्ट्रकूट वंश का पहला शासक था जिसने कन्नौज पर अधिकार करने हेतु त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया और पाल नरेश धर्मपाल और प्रतिहार नरेश वत्सराज को पराजित किया l
- गोविन्द III ने त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लेकर प्रतिहार वंश के शासक नागभट्ट II और चक्रायुध और उसके संरक्षक धर्मपाल को पराजित किया था l
- अमोघवर्ष ने सबसे पुरानी ज्ञात कन्नड कविता ‘कविराजमार्ग’ के कुछ खंडों की रचना की थी।
- अमोघवर्ष के दरबार में आदिपुराण और त्रिषष्ठीलक्षण महापुराण के रचनाकार जिनसेन, गणितासार के रचनाकार महावीराचार्य एवं अमोघवृत्ति के लेखक सक्तयाना रहते थे l
- इंद्र III के शासनकाल में अरब निवासी अलमसूदी भारत आया था l
- कन्नड़ भाषा के कवि पोन्न जिन्होंने शांतिपुराण की रचना की थी अंतिम राष्ट्रकूट शासक कृष्ण III के दरबार में रहते थे l
- एलोरा एवं अजंता गुहामंदिरों का निर्माण राष्ट्रकूटो के शासनकाल में हुआ l
- एलोरा गुफाओ का सर्वप्रथम वर्णन फ़्रांसिसी यात्री थेविनेट ने 17वी शताब्दी में किया था l
यादव वंश
संस्थापक: भिल्लम V
राजधानी: देवगिरी
अंतिम शासक: रामचंद्र
- रामचंद्र ने अल्लाउद्दीन के सेनापति मालिक काफूर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था l
होयसल वंश
संस्थापक: विष्णुवर्धन
राजधानी: द्वारसमुद्र
अंतिम शासक: बल्लाल III
- होयसल वंश यादव वंश की एक शाखा थी l
- बल्लाल III को मालिक काफूर ने हराया था l
कदम्ब वंश
संस्थापक: मयूर शर्मन
राजधानी: वनवासी
अंतिम शासक: अजयवर्मन
गंग वंश
संस्थापक: बज्रहस्त
राजधानी: कुवलाल (तलकाड)
अंतिम शासक: बल्लाल III
काकतीय वंश
संस्थापक: बीता प्रथम
राजधानी:अमकोंड
अंतिम शासक: प्रताप रूद्र
सीमावर्ती राजवंशो का उदय
पाल वंश (750-1174 इसवी)
संस्थापक: गोपाल
राजधानी: मुंगेर
अंतिम शासक: गोविन्दपाल
- गोपाल ने ओदंतपुरी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी l
- पाल वंश का सबसे महान शासक धर्मपाल था जिसने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी l
- ओदंतपुरी के प्रसिद्ध बौद्ध मठ का निर्माण देवपाल ने करवाया था l
सेन वंश
संस्थापक: सामंत सेन
राजधानी: नदिया (लखनौती)
अंतिम शासक: लक्ष्मण सेन (अंतिम प्रतापी राजा)
- सेन शासक बल्लालसेन ने दानसागर और अद्भुत सागर नामक ग्रंथो के रचना की l
- लक्ष्मण सेन के दरबार में गीतगोविन्द के लेखक जयदेव, पवनदूत के लेखक धोयी, ब्राह्मणसर्वस्व के लेखक हलायुद्ध रहते थे l
- सेन राजवंश प्रथम राजवंश था जिसने अपने अभिलेख हिंदी में उत्क्रीर्ण करवाए l
- लक्ष्मण सेन बंगाल का अंतिम हिन्दू शासक था l
कश्मीर के राजवंशो का उदय
कर्कोट वंश
संस्थापक: दुर्लबवर्धन
राजधानी: परिहसपुर
अंतिम शासक: उत्पलापीड
- हुएनसांग ने दुर्लभवर्धन के शासनकाल में कश्मीर की यात्रा की थी l
- इस वंश का सबसे प्रतापी राजा ललितादित्य मुक्तापीड था जिसने कश्मीर के मार्तंड मंदिर का निर्माण करवाया था l
उत्पल वंश
संस्थापक: अवन्तिवर्मन
राजधानी: अवन्तिपुर
अंतिम शासक: दिद्दा
- अवन्तिपुर नामक शहर की स्थापना अवन्तिवर्मन ने की थी l
लोहार वंश
संस्थापक: संग्रामराज
राजधानी: श्रीनगर
अंतिम शासक: जयसिंह
- लोहार वंश का शासक हर्ष महान कवि और कई भाषाओ का ज्ञाता था l
- राजतरंगिणी, कल्हण द्वारा रचित एक संस्कृत ग्रन्थ है।
- कल्हण हर्ष के दरबारी कवि थे l
- विश्व के 10 सबसे ऊँचे पर्वत शिखर
राजपूत राजवंशो का उदय
गुर्जर प्रतिहार वंश
संस्थापक: नागभट्ट प्रथम
राजधानी: कन्नौज
अंतिम शासक: यशपाल
- प्रतिहार शासक नागभट्ट II को राष्ट्रकूट शासक गोविन्द III ने हराया था l
- इस वंश का सबसे प्रतापी राजा मिहिरभोज था l
- दिल्ली नगर की स्थापन तोमर नरेश अनंगपाल ने 11 वीं सदी के मध्य में की थी l
गहड़वाल वंश
संस्थापक: चंद्रदेव
राजधानी: वाराणसी
अंतिम शासक: जयचंद
- इस वंश का सबसे प्रतापी राजा गोविंदचंद था जिसके मंत्री लक्ष्मीधर ने कृत्यकल्पतरु नामक ग्रन्थ की रचना की थी l
- इस वंश के शासक जयचंद की पुत्री संयोगिता का अपहरण पृथ्वीराज III ने स्वयंवर से कर लिया था l
- चन्दावर का युद्ध गौरी और जयचंद के बीच 1194 में हुआ था जिसमे जयचंद की हार हुई l
चौहान वंश
संस्थापक: वासुदेव
राजधानी: अहिच्छत्र
अंतिम शासक: हरिराज
- अजयराज II ने अजमेर नगर की स्थापना की और उसे अपनी राजधानी बनाया l
- विग्रह्राज चतुर्थ बीसलदेव ने हरिकेली नामक नाटक की रचना की l
- सोमदेव विग्रहराज चतुर्थ के राजकवि थे जिन्होंने ललित विग्रहराज नामक नाटक लिखा
- अड़ाई दिन का झोपड़ा शुरुआत में विग्रहराज चतुर्थ द्वारा निर्मित एक विद्यालय था l
- चंदवरदाई पृथ्वीराज तृतीय का राजकवि था जिसने पृथ्वीराजरासो की रचना की l
- रणथम्भौर के जैन मंदिर का शिखर पृथ्वीराज III ने बनवाया l
- तराईन का प्रथम युद्ध 1191 में पृथ्वीराज III और गौरी के बीच हुआ जिसमे गौरी की हार हुई l
- तराईन का द्वितीय युद्ध 1192 में पृथ्वीराज III और गौरी के बीच ही हुआ जिसमे गौरी की विजय हुई l
- पृथ्वीराज विजय की रचना जयानक ने, बिसलदेव रासौ की रचना नरपति नाल्ह ने, और हम्मीर रासौ की रचना जोधराज ने की थी l
- महाद्वीपों का महाद्वीप किसे कहा जाता है
परमार वंश
संस्थापक: उपेन्द्र राज
राजधानी: धारा नगरी
अंतिम शासक: महालकदेव
- इस वंश का सबसे प्रतापी राजा भोज था जिसने भोपाल के दक्षिण में भोजपुर नामक झील का निर्माण करवाया था l
- भोजपुर नामक नगर की स्थापना राजा भोज ने की थी l
- नैषधीयचरित के लेखक श्रीहर्ष, और प्रबंधचिंतामणि के लेखक मेरुतंक थे l
- दशरूपक के लेखक धनंजय थे l
चंदेल वंश
संस्थापक: नन्नुक
राजधानी: कालिंजर/खजुराहो
अंतिम शासक: परमर्दिदेव
- बुंदेलखंड का प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है l
- धंग देव ने अपनी राजधानी कालिंजर से खजुराहो स्थानांतरित की थी l
- धंग देव ने 999 ई में कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था l
- चंदेल शसक कीर्तिवर्मन के दरबार में रहने वाले कृष्ण मिश्र ने प्रबोद चंद्रोदय की रचना की थी l
- आल्हा उदल नामक दो सेनानायक परमर्दिदेव के दरबार में रहते थे इन्होने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध करते हुए अपनी जान गवाई थी l
- अंतिम शासक परमर्दिदेव ने कुतुबुद्दीन ऐबक की अधीनता स्वीकार कर ली थी जी कारण इसके मंत्री अजयदेव ने इसकी हत्या कर दी थी l
- भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची (The List of Indian Prime Minister in Hindi)
सोलंकी वंश/गुजरात के चालुक्य वंश
संस्थापक: मूलराज
राजधानी: अहिलवाड़
अंतिम शासक: भीम II
- भीम -1 के सामन्त विमल शाह ने माउन्ट आबू, राजस्थान में दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण करवाया था।
- भीम-1 के समय महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था तथा भारी लूटपाट की थी।
- मोढ़ेरा के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर का निर्माण सोलंकी शासको के शासनकाल में हुआ था l
- इस वंश के शासक मूलराज II ने मुहम्मद गौरी को पराजित किया था l
- कुतुबुद्दीन एबक ने भीम-2 को परास्त किया था।
- भीम II के सामंत लवण प्रसाद ने बघेल वंश की स्थापना की l
- बघेल वंश का कर्ण II गुजरात का अंतिम हिन्दू शासक था इसने अल्लौद्दीन खिलजी की सीना का मुकाबला किया था l
कलचुरी /चेदी वंश
संस्थापक: कोक्कल
राजधानी: त्रिपुरी
अंतिम शासक:
- इस वंश का सबसे प्रतापी राजा गांगेयदेव था l
सिसोदिया वंश
संस्थापक: राणा हम्मीर
राजधानी: चितौड़
अंतिम शासक:
- अपनी विजय के उपलक्ष में विजय स्तंभ का निर्माण चित्तौड़ में राणा कुम्भा ने करवाया था l
- 1303 में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर हमला किया l
- खातोली का युद्ध 1518 में राणा सांगा और इब्राहीम लोदी के बीच हुआ था l
- विश्व के 7 महाद्वीप कौन-कौन से है
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में भारत के प्रमुख राजवंशो (Bharat ke pramukh rajvansh) के विषय में जानकारी दी गयी है l आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आई होगी l
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