आज के इस आर्टिकल में हम आपको ज्वालामुखी क्या होता है l ज्वालामुखी के प्रकार (Jwalamukhi kya hota hai l Jwalamukhi ke prakar) एवं ज्वालामुखी से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानकारी देने वाले है जैसे कि लावा क्या होता है, लावा कब निकलता है, लावा और मैग्मा में अंतर, ज्वालमुखी क्यों और कब फटता है, ज्वालामुखी के फटने से कौन कौन सी गैसे और पदार्थ निकलते है, ज्वालामुखी की आवाज कैसे होती है, और ज्वालामुखी का वैश्विक वितरण आदि l
आइये सबसे पहले ज्वालामुखी क्या होता है?(Jwalamukhi kya hota hai) यह जान लेते है l
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ज्वालामुखी से तात्पर्य उस छिद्र या दरार से होता है जिसका सम्बन्ध सीधे पृथ्वी के आतंरिक भाग से होता है l
ये छिद्र पृथ्वी के आतंरिक भाग के गर्म तत्व मैग्मा व उसमे बनने वाली गैस के दबाव को बाहर निकालने के लिए एक सेफ्टी वाल की तरह कार्य करता है l इसमें से गर्म गैस, गर्म लावा, राख, जलवाष्प आदि निकलते है l
ज्वालामुखी क्रिया दो प्रकार की होती है - आतंरिक और बाहरी
आतंरिक क्रिया में मैग्मा अन्दर ही फैलकर ठंडा हो जाता है और ग्रेनाईट और नीस्ट चट्टानों का निर्माण होता है l
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बाहरी क्रिया में मैग्मा धरातल के ऊपर एक नलीनुमा छिद्र जिसे ज्वालामुखी नली कहते है, के रास्ते ऊपर आ जाता है और इसके साथ ही गैस, पानी, गर्म पानी, राख, और चट्टानों के टुकड़े आदि भी बाहर आ जाते है l
ज्वालामुखी में विस्फोट होने पर सबसे पहले गैस और जलवाष्प ही निकलता है जिसमे सबसे ज्यादा मात्रा जलवाष्प (60-70%) की होती है l
गैसों में कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन, अमोनिया और सल्फर डाई ऑक्साइड निकलती है l इसके पश्चात विखंडन से मलवे के रूप में धूल, राख, चट्टान के टुकड़े जिन्हें टफ कहते है और मटर के दाने के सामान टुकड़े जिन्हें मैपली कहते है कुछ इंच से लेकर फीट तक के टुकड़े जिन्हें बोम्ब कहते है एवं नुकीले बड़े पत्थर जिन्हें ब्रेसिया कहते है आदि निकलते है l
लावा, इसे मैग्मा भी कहते है l यह भूगर्भ में स्थित ठोस तत्वों का तरल स्वरुप होता है और जब यह बाहर निकलकर ठंडा हो जाता है तो पुनः ठोस में बदल जाता है l
मैग्मा पृथ्वी के भीतर पिघली हुई चट्टानों का स्वरुप होता है जिसमे कि गैसों के मध्य क्रियाएं होती रहती है और कमजोर भूपटल पाकर यें गैसयुक्त मैग्मा ऊपर उठने लगता है और तेजी से ऊपर की ओर आने पर इसमें भयंकर विस्फोट होता है l
चट्टानें टूट फूट कर इधर उधर बिखर जाती है धूल, वाष्प और गैसे ऊपर की ओर उठकर फ़ैल जाती है l
इसके पश्चात् छिद्र से लावा या मैग्मा निकलने लगता है l लावा ठंडा होते जाता है और विस्फोट से निरंतर लावा निकलता रहता है निरंतर ऐसा होने से एक शंकु का निर्माण हो जाता है l
यें शंकु बड़े होते होते ज्वालामुखी पर्वत का आकार ले लेते है ज्वालामुखी में धरातल से ऊपर तक एक नली जुडी होती है जिसे ज्वालामुखी नली कहते है इस नली के ऊपरी भाग में ज्वालामुखी का बाहरी छेद होता है जिसे क्रेटर कहते है l
यदि किसी कारण वश ज्वालामुखी धस जाता है और उसका क्रेटर काफी चौड़ा हो जाता है तो इसे काल्डेरा कहते है और कभी कभी इसमें पानी भर जाने के कारण इसमें जीवों की उत्पत्ति हो जाती है l
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लावा दो प्रकार का होता है - बेसिक लावा, और एसिड लावा l
बेसिक लावा - यह हल्का पतला होता है और धरातल पर दूर तक फैलता है l इसमें सिलिका की मात्रा कम होने से शंकु का निर्माण होता है l
उदाहरण - हवाई द्वीप का मोना लोवा
एसिड लावा - यह अत्यधिक गाढ़ा होता है l इसमें सिलिका की मात्रा अधिक होती है यह दूर तक न फैलकर एक गुम्बदाकार शंकु का निर्माण करता है l’
उदाहरण - इटली का स्ट्रोम्बोली व फ़्रांस का पाइप दी ओंस
पृथ्वी के भीतर उपस्थित चट्टानें जो पिघली हुई अवस्था में होती है उन्हें मैग्मा कहते है जबकि जब यह पिघलकर पृथ्वी की सतह से बाहर निकलता है तब इन पिघली हुई चट्टानों के स्वरुप को लावा कहा जाता है l
क्रियाशीलता के आधार पर ज्वालामुखी के तीन प्रकार होते है -
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वे ज्वालामुखी जिनके मुख से लगातार उद्भेदन और ज्वालामुखी पदार्थ निकलते रहते है उन्हें सक्रिय ज्वालामुखी कहते है वर्त्तमान में इनकी संख्या लगभग 500 है l
विश्व के प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी
क्रम संख्या |
ज्वालामुखी |
स्थिति |
1. |
कलाइयु, मोनालोवा |
हवाई द्वीप |
2. |
माउंट एटना |
सिसिली द्वीप |
3. |
स्ट्रोम्बोली |
लेम्बारी द्वीप |
4. |
कोटोपैक्सी |
इक्वाडोर |
5. |
माउंट इरेबस |
अंटार्टिका |
6. |
बेरन |
अंदमान निकोबार |
7. |
ओजसडेलसलाडो |
अर्जेंटीना |
ऐसे ज्वालामुखी जो निकट अतीत में कभी फूटे होंगे और जिनमें बहुत समय से कोई उद्गार नहीं हुआ है परन्तु इनमे कभी भी उद्गार हो सकता है l उन्हें प्रसुप्त ज्वालामुखी कहते है l
विश्व के प्रमुख प्रसुप्त ज्वालामुखी
क्रम संख्या |
ज्वालामुखी |
स्थिति |
1. |
विसूवियस |
इटली |
2. |
फ्यूजीयामा |
जापान |
3. |
क्रकाताओं |
इंडोनेशिया |
4. |
नारकोडम |
अंदमान |
5. |
म्यान |
फिलिपीन्स |
ऐसे ज्वालामुखी जिनमें प्राचीन समय में न विस्फोट हुआ है और न आगे भविष्य में ही कभी विस्फोट होने की संभावना है इस प्रकार के ज्वालामुखी को शांत ज्वालामुखी कहते है l
विश्व के प्रमुख शांत ज्वालामुखी
क्रम संख्या |
ज्वालामुखी |
स्थिति |
1. |
कोह्सुल्तान, देवबंद |
ईरान |
2. |
पोप |
म्यांमार |
3. |
क्लीमंजारो |
तंजानिया |
4. |
चिम्बराजो |
इक्वाडोर |
5. |
एकांकगुआ |
एंडीज |
पृथ्वी के भीतर अत्यधिक गहराई में तापमान बहुत अधिक गर्म होता है जिससे कि वहाँ पर कुछ चट्टानें धीरे धीरे पिघलने लगती है और इन चट्टानों के पिघलने से एक गाड़ा पदार्थ बनता है जिसे मैग्मा कहते है l यह मैग्मा धीरे धीरे ऊपर उठता है और यह मैग्मा कुछ छिद्रों और दरारों से पृथ्वी की सतह को धकेलता है और बाहर की ओर निकलता है l यह मैग्मा जब पृथ्वी से बाहर की ओर निकलता है तो इसे लावा कहते है l
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ज्वालामुखी विस्फोट कितना भयंकर होगा यह बात मैग्मा की सरंचना पर निर्भर करता है l यदि मैग्मा पतला होता है तो इससे गैसे आसानी से बाहर निकल जाती है और इस प्रकार के मैग्मा में जब विस्फोट होता है तो यह ज्वालामुखी से बाहर निकल जाता है l
वही अगर मैग्मा गाड़ा होता है तो गैसे आसानी से बाहर नहीं निकल पाती l इसके भीतर दवाब तब तक बनता रहता है जब तक गैसे हिंसक रूप लेकर फट नहीं जाती इस प्रकार मैग्मा हवा में फट जाता है l
जोर से विस्फोट, बुलबुले फूटना, गड़गड़ाहट, फुफकार और जेट इंजन की तरह गर्जना इस तरह की आवाजे ज्वालामुखी से आती है l
ज्वालामुखी के वैश्विक वितरण में को स्पष्ट करने में प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत सहायक सिद्ध होता है।
लगभग 15% ज्वालामुखी रचनात्मक प्लेटो के किनारे पाए जाते है क्योंकि ज्वालामुखी उद्गार विनाशात्मक रचनात्मक प्लेटो के चारों ओर पाए जाते है l और 80% ज्वालामुखी विनाशकारी प्लेटो के चारों ओर होते है l
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ज्वालामुखी निम्न मेखलाओं या पेटियों में वितरित है -
प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपों के चारों ओर बड़ी संख्या में ज्वालामुखी की पेटियां है l यहाँ ज्वालामुखियो की संख्या अत्यधिक पायी जाती है विश्व के ज्वालामुखियों का लगभग 2/3 हिस्सा पाया जाता है l यें विनाशात्मक पेटी के चारो ओर ही पाए जाते है l परि प्रशांत महासागरीय पेटी को प्रशांत महासागर का अग्निवलय (Fire wings of Pacific Ocean) भी कहा जाता है।
यह पेटी अंटार्कटिका के माउंट इरेबस से शुरू होती है और दक्षिण अमेरिका के एंडीज पर्वतमाला और उत्तरी अमेरिका की रॉकीज पर्वतमाला का अनुशरण करते हुए अलास्का, रूस, जापान, फिलीपींस द्वीप को पार कर मध्य महाद्वीपीय मेखला में मिल जाती है।
विश्व में कुल कितने महासागर है?
मध्य महाद्वीपीय पेटी यूरेशिया अफ्रीका प्लेट से लगी हुई है l इसमें नवीन पर्वत पूर्व से पश्चिम की ओर फैले है l
यह पेटी आइसलैंड से प्रारभ होकर स्कॉटलैंड होते हुए अफ्रीका कैमरून पर्वत तक जाती है l
यह पेटी रचनात्मक प्लेट के किनारे मिलती है जिसके कारण दरार एवं भ्रंशन होता है l
इसका सबसे सक्रिय क्षेत्र आइसलैंड है इसमें उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित सेंट हेलेना, एजोर द्वीप आदि प्रसिद्ध है l
कई बार प्लेट सीमा या किनारों के स्थान पर महासागरीय और महाद्वीपीय प्लेटो के अंदर ज्वालामुखी क्रियाएं दिखती हैं। प्लेट विवर्तनिकी द्वारा इनकी व्याख्या संभव नहीं हो पाई है अतः इसका कारण माइक्रो प्लेट गतिविधियों को माना गया है l
इस पेटी की प्रमुख श्रंखला हवाई द्वीप से प्रारंभ होकर कमचटका तक जाती है l
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गीजर, गर्म जलस्त्रोत, धूंआरे और काल्डेरा ज्वालामुखी उद्गार के अन्य स्वरुप है l हम इनके बारे में एक एक करके आपको जानकारी देंगे l
गीजर गर्म जल के स्त्रोत होते है जिनमे से एक एक करके गर्म जल और वाष्प निकलता रहता है l
संयुक्त राज्य अमेरिका के येलो स्टोन नेशनल पार्क में ओल्ड फैथफुल और एक्सेल्सियर गीजर इसके उदाहरण है l
एक ऐसा छिद्र जिसके के सहारे जलवाष्प और गैस निकलता है l वास्तव में यह ज्वालामुखी क्रिया के अंतिम चरण को दर्शाता है l
धूंआरे में से जो जलवाष्प निकलता है उसका तापमान गीजर से निकलने वाले जलवाष्प की अपेक्षा अधिक होता है l
बादल सफ़ेद क्यों दिखाई देते है?
विश्व के प्रमुख धूंआरो में अलास्का की दस सहस्त्र धूम घाटी, ईरान का कोह्सुल्तान धूंआरा, न्यूजीलैंड का वाइट टापू का धूंआरा और हवाई द्वीप का धूंआरा आदि प्रसिद्ध है l
इटली और यू.एस.ए में गर्म वाष्प और गैसों से बिजली उत्पन्न की जाती है l
जब क्रेटर किसी कारण से धंस जाता है तो यह बड़ा रूप धारण कर लेता है और इसका आकार क्रेटर से काफी अधिक होता है l तो इसे काल्डेरा कहा जाता है - जैसे आसो काल्डेरा जापान
जो काल्डेरा अत्यधिक विस्तृत हो जाता है उसे सुपर काल्डेरा कहते है जैसे क्रेटरलेक यू.एस.ए, लेकटोवा सुमात्रा l
ज्वालामुखी उद्भेदन के पश्चात् पृथ्वी पर आये चट्टानों के बड़े बड़े टुकड़े पाइरोक्लास्ट कहलाते हैं, यें सबसे पहले निकलते हैं।
ज्वालामुखी विस्फोट के पश्चात् लावा निरंतर जमा होने से जिस स्थलाकृति का निर्माण होता है। उसे ज्वालामुखी शंकु कहते हैं।
आसमान नीला क्यों दिखाई देता है?
हवाई स्थित पूहहोनु ज्वालामुखी को विश्व का सबसे गर्म और बड़ा ज्वालामुखी घोषित किया गया है l यह लगभग 171 मील लंबा और 56 मील चौड़ा है। यह लगभग पूरी तरह से जलमग्न है।
इंडोनेशिया सबसे ज्यादा ज्वालामुखी वाला देश है l
ऑस्ट्रेलिया में एक ही ज्वालामुखी नहीं है l
ज्वलामुखी विस्फोट से निकालने वाली गैसों में सर्वाधिक मात्रा जलवाष्प (80-90%) की होती है l
विश्व का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी इक्वाडोर में स्थित कोटोपैक्सी ज्वालामुखी है l
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको ज्वालामुखी क्या और और उसके कितने प्रकार होते है, के साथ साथ ज्वालामुखी के बारे में अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है l
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