आज के इस आर्टिकल में हम आपको उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियो (Uttarakhand ki Pramukh Janjatiyan) के बारे में बताएँगे इससे पिछले आर्टिकल में हमने आपको भारत की प्रमुख जनजातियों के बारे में जानकारी दी थी l
उत्तराखंड की कुल जनसँख्या 1,00,86,292 है जिसमे से अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 2,91,903 है l
राज्य में अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत कुल जनसँख्या का 3% है l
2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड राज्य की साक्षरता दर 79.9 % है जिसमे से पुरुष साक्षरता दर 86.3 % है और महिला साक्षरता दर 63. 9% है l
उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियाँ (Tribes of Uttarakhand)
उत्तराखंड में बहुत सी जनजातियाँ निवास करती है l इस आर्टिकल में हम आपको उत्तराखंड की 5 प्रमुख जनजातियों के बारे में बताने वाले है जो इस प्रकार है - थारु, भोटिया, बुक्सा, जौनसारी, और राजी l
उत्तराखण्ड में निवास करने वाली थारु, भोटिया, बुक्सा, जौनसारी, और राजी को वर्ष 1967 में अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया था।
बुक्सा और राजी जनजाति अन्य जनजातियों की तुलना में आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक रूप से बहुत गरीब और पिछड़ी हैं, उन्हें आदिम जनजाति समूह की श्रेणी में रखा गया है।
आइये उत्तराखंड की प्रमुख जानजातियों (Uttarakhand ki pramukh Janjatiya) के बारे में विस्तार से जानते है l
थारू जनजाति (Tharu Tribe)
- थारु जनजाति उत्तराखंड की सबसे बड़ी जनजाति है l
- थारु जनजाति मुख्य रूप से भारत एवं नेपाल में निवास करती है l
- ये जनजाति भारत एवं नेपाल के तराई क्षेत्रों में निवास करती है l
- थारु जनजाति की सर्वाधिक जनसँख्या उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में है l
- भारत में ये जनजाति उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, और बिहार राज्य में निवास करती है l
- थारु जनजाति उत्तराखंड के कुमांऊ मंडल की सबसे बड़ी जनजाति है l
- उत्तराखंड में इनकी आबादी मुख्यतः नैनीताल के सितारगंज तहसील और उधमसिंह नगर की खटीमा तहसील में केन्द्रित है l
- उत्तर प्रदेश में यह जनजाति लखीमपुर, बहराइच, गोरखपुर, गोंडा, खीरी जिले में निवास करती है l
- बिहार में ये जनजाति चंपारण जिले में निवास करती है l
- ऐसा माना जाता है कि 'थारू' शब्द 'स्थवीर' से लिया गया है जिसका अर्थ है बौद्ध धर्म की थेरवाद शाखा/परंपरा का अनुयायी होना ।
- दूसरी मान्यता के अनुसार थारु जनजाति का नाम राजस्थान के थार रेगिस्तान के नाम पर पड़ा है क्योंकि पश्चमी तराई क्षेत्रों में निवास करने वाली थारु जनजाति स्वयं को राजस्थान के राजपूतों का वंशज मानती है l
- मानव विज्ञानी इन्हें मंगोलियन मानते है जबकि कुछ के अनुसार यें किरीत वंशीय है l
- थारु जनजाति के लोग मुख्यतः हिन्दू धर्म को मानते है और हिन्दू देवी देवताओं की पूजा करते है l जबकि कुछ लोग बौद्ध धर्म को भी मानते है l
- जीवन यापन के लिए यह जनजाति खेती, मछली पकड़ने और शिकार पर निर्भर है l
- मलेरिया से लड़ने की इनकी उच्च प्रतिरोधक क्षमता के कारण इन्हें ‘मलेरिया प्रूफ मानव’ भी कहते है l
- थारु जनजाति में पित्रसत्तात्मक परंपरा पायी जाती है परन्तु महिलाओं का महत्व भी पुरुषों की तुलना में कम नहीं है l
- थारु जनजाति का मुख्य त्यौहार होली, दीपावली, दशहरा, गंगा स्नान आदि है l
- थारु जनजाति के लोग दीपावली को शोक के रूप में मानते है क्योंकि इस दिन ये लोग अपने पूर्वजो को याद करते है और उनकी याद में शोक मानते है l
- अपनी थारू भाषाओं के अलावा, थारू जाति नेपाली बोलती है, जबकि कुछ क्षेत्रीय भोजपुरी, मैथिली और अवधी भाषाएं भी बोली जाती हैं।
- थारू समुदाय के लोग भगवान शिव को महादेव के रूप में पूजते हैं और वे अपने उपनाम के रूप में 'नारायण' शब्द का प्रयोग करते हैं, उनका मानना है कि नारायण धूप, बारिश और फसल के प्रदाता हैं।
- थारू समुदाय के दो मुख्य व्यंजन 'बगिया' या 'ढिकरी' और 'घोंगी' हैं। बगिया (ढिकरी) उबले हुए चावल के आटे का व्यंजन है, जिसे चटनी या सालन के साथ खाया जाता है।
- बिहार में पश्चिम चंपारण के थारू बरना नामक त्योहार मनाते हैं। बरना की शुरुआत में थारू समाज के लोग भव्य तरीके से पूजा करते हैं और इसके अंत में पारंपरिक गीत, संगीत, नृत्य की भरमार होती है. इसके बाद वे 60 घंटे तक अपने घरों से बाहर नहीं निकलते हैं।
- झुमडा और लहचारी थारु जनजाति का प्रमुख नृत्यगीत है l
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जौनसारी जनजाति (Jaunsari Tribe)
- जौनसारी जनजाति उत्तराखंड की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है l
- जौनसारी जनजाति उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल की सबसे बड़ी जनजाति है l
- जौनसारी जनजाति की सर्वाधिक जनसँख्या उत्तराखंड के देहरादून जिले में है l
- जौनसारी जनजाति मुख्य रूप से भारत में उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले के चकराता, कालसी और त्यूणी तहसील में निवास करती है।
- चकराता, कलसी, त्यूणी लाखामंडल का क्षेत्र जौनसार बावर के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र यमुना और टोंस नदियों के बीच स्थित है।
- जौनसारी जनजाति को खस जाति का वंशज माना जाता है।
- सामाजिक रूप से जौनसार-बावर के दो प्रमुख क्षेत्र हैं जिनमें दो प्रमुख समुदाय निवास करते हैं। निचला आधा 'जौनसर' और ऊपरी आधा हिमाच्छादित 'बावर' है।
- जौनसार जनजाति के लोग अपने को पाण्डवों का वंशज मानते हैं जिनको पाशि कहां जाता है और बावर के लोग अपने को दुर्योधन का वंशज मानते है, जिनको षाठी कहा जाता है l
- जौनसारी जनजाति संभवतः भारत की एकमात्र जनजाति है, जिसे आर्थिक और पिछड़ेपन के आधार पर 1967 में जनजाति का दर्जा दिया गया था।
- जौनसारी जनजाति के प्रमुख त्यौहार नुनाई, बिस्सू, माघ मेला, दीपावली, दशहरा आदि हैं।
- जौनसारी समुदाय में बहुपतित्व की परंपरा है।
- जौनसारी लोग महासू देवता की पूजा करते है l
- इस क्षेत्र में रोजगार के मुख्य स्रोत कृषि और पशुपालन हैं।
- इस जनजाति के प्रमुख लोक नृत्य 'बारदा नाटी' और "हारूल" है l
- जौनसारी का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार 'माघ मेला' है।
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बुक्सा जनजाति (Buksa Tribe)
- बुक्सा या बोक्सा जनजाति उत्तराखंड की तीसरी सबसे बड़ी जनजाति है l
- उत्तराखंड में बुक्सा जनजाति की जनसँख्या लगभग 46,771 है जबकि उत्तर प्रदेश में इनकी जनसँख्या लगभग 4,367 है l
- बुक्सा जनजाति के लोग बुक्सा भाषा बोलते है l
- बुक्सा जनजाति की सर्वाधिक जनसँख्या उधमसिंह नगर में है l इसके आलावा बुक्सा जनजाति देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल में पायी जाती है l
- इसके अलावा बुक्सा जनजाति उत्तर प्रदेश के बिजनौर में भी पायी जाती जहां इन्हें खस के रूप में जाना जाता है l
- बुक्सा जनजाति की प्रमुख देवी चामुण्डा देवी है l
- इस जनजाति के उत्थान के लिए नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में भी बोक्सा परिषद की स्थापना की गई है।
- चैती बुक्सा जनजाति का प्रमुख त्यौहार एवं मेला है l
- होंगण, डेल्या, गोटरे, नौबी, मोरे आदि बुक्सा जनजाति के प्रमुख त्यौहार है l
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भोटिया जनजाति (Bhotiya Tribe)
- भोटिया जनजाति उत्तराखंड की चौथी सबसे बड़ी जनजाति है l
- भोटिया जनजाति की सर्वाधिक जनसँख्या पिथौरागढ़ जिले में है l इसके आलावा भोटिया जनजाति पिथौरागढ़, चमोली, नैनीताल, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पावत, और रुद्रप्रयाग में रहती है l
- पिथौरागढ़ में निवास करने वाली भोटिया जनजाति जौहरी और शौक कहलाती है l
- चमोली में निवास करने वाली भोटिया जनजाति मारछा और तोरछा कहलाती है l
- उत्तरकाशी की भोटिया जनजाति के लोग जाड़ कहलाते है l जाड़ लोग स्वयं को जनक के वशंज मानते है l
- भोटिया लोगो की पहचान रघुवंशी राजपूत के रूप में हुई हैं और यें स्वयं को ठाकुर या राजवंशी मानते है l
- भोटिया जनजाति के ग्रीष्मकालीन आवास मैत कहलाते है l
- भोटिया जनजाति के शीतकालीन आवास मुनसा कहलाते है l
- भोटिया जनजाति के लोगो का प्रमुख व्यवसाय कृषि, पशुपालन और व्यापार है l
- भोटिया जनजाति के लोग प्रत्येक 12 वर्ष में कंडाली नामक पर्व मानते है l
- भोटिया जनजाति द्वारा विवाह के अवसर पर पौना नृत्य किया जाता है l
- तुवेरा, बाज्यू, तिमली आदि भोटिया जनजाति के प्रमुख लोकगीत है l
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राजी जनजाति (Raji Tribe)
- राजी जनजाति उत्तराखंड की सबसे छोटी जनजाति है l
- राजी जनजाति की सर्वाधिक जनसँख्या पिथौरागढ़ में है l
- राजी जनजाति एक आदिम जनजाति है जो जंगलों में निवास करती है l
- उत्तराखंड की इस जनजाति की साक्षरता दर सबसे कम है l
- राजी जनजाति के प्रमुख त्यौहार कर्क संक्रांति और मकर संक्रांति है l
- राजी जनजाति को वनरावत भी कहते है l
- राजी जनजाति की प्रमुख देवता बाघनाथ है l
- इस जनजाति में जिस स्थान पर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उस स्थान को छोड़ दिया जाता है l
- इस जनजाति के कई लोग अभी भी घुमन्तू जीवन यापन कर रहे है जबकि कुछ लोग झूम खेती करें लगे है l
- उत्तराखंड की राजी जनजाति लकड़ी की शिल्पकला के लिए जानी जाती है l
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उत्तराखंड में अनुसूचित जनजाति की जिलों के अनुसार आबादी
2001 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड के जिलो में अनसुचित जनजाति की कुल आबादी इस प्रकार है l
क्र.स.
|
जिला
|
कुल जनसंख्या
|
कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजातियों का विवरण
|
राजी
|
थारू
|
भोटिया
|
बुक्सा
|
जौनसारी
|
1
|
रूद्रप्रयाग
|
186
|
0
|
0
|
186
|
0
|
0
|
2
|
टिहरी गढवाल
|
691
|
0
|
0
|
0
|
0
|
691
|
3
|
चम्पावत
|
742
|
126
|
0
|
616
|
0
|
0
|
4
|
अल्मोड़ा
|
878
|
0
|
0
|
878
|
0
|
0
|
5
|
पौडी गढवाल
|
1500
|
0
|
0
|
0
|
1500
|
0
|
6
|
बागेश्वर
|
1943
|
0
|
0
|
1943
|
0
|
0
|
7
|
उत्तरकाशी
|
2685
|
0
|
0
|
2685
|
0
|
0
|
8
|
हरिद्वार
|
2884
|
0
|
0
|
0
|
2884
|
0
|
9
|
नैनीताल
|
4981
|
0
|
0
|
2037
|
2944
|
0
|
10
|
चमोली
|
10484
|
0
|
0
|
10484
|
0
|
0
|
11
|
पिथौरागढ
|
19279
|
556
|
0
|
18723
|
0
|
0
|
12
|
देहरादून
|
99702
|
0
|
0
|
2855
|
22508
|
74339
|
13
|
ऊधमसिहनगर
|
110174
|
0
|
82790
|
0
|
27384
|
0
|
कुल जनसंख्या
|
256129
|
682
|
82790
|
40407
|
57220
|
75030
|
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- उत्तराखंड में सर्वाधिक जनजाति वाला जिला - उधमसिंह नगर
- उत्तराखंड में सबसे कम जनजाति वाला जिला - रूद्रप्रयाग
- उत्तराखंड की सर्वाधिक जनसँख्या वाली जनजाति - थारू जनजाति
- उत्तराखंड की दूसरी सर्वाधिक जनसँख्या वाली जनजाति - जौनसारी
- उत्तराखंड में सबसे पिछड़ी जनजाति - राजी जनजाति
- कौन सी जनजाति के लोग पांडवों को अपना पूर्वज मानते हैं - जौनसारी जनजाति के लोग
- उत्तराखंड विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या = 2 (चकराता और नानकमत्ता)
- भोटिया जनजाति के ग्रीष्मकालीन आवास कहलाते है: मैत
- भोटिया जनजाति के शीतकालीन आवास कहलाते है: मुनसा या गुंडा
- जौनसारी जनजाति के प्रमुख देवता: महासू देवता (शिव)
- किस जनजाति के लोग दीपावली को शोक के रूप में मनाते है: थारु जानजाति के
- थारु जनजाति में विधवा विवाह के बाद दिया जाने वाला भोजन कहलाता है: लठभरता भोजन
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