मानव के इतिहास में नदियों का अत्यंत ही महत्व रहा है l नदियों का जल एक अमूल्य प्राकृतिक धरोहर है जो कि अनेक मानवीय क्रियाकलापों के लिए महत्वपूर्ण है l भारत एक ऐसा देश है जहाँ नदियों को माता का दर्जा दिया जाता है, भारत में नदियों को बहुत ही पवित्र माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है l तो आइये भारत की नदियाँ , उनके उद्गम स्थल, लम्बाई , सहायक नदियाँ , अपवाह तंत्र और उनके आर्थिक महत्त्व के बारे में जानते है l
नदी वह भारी वेग से प्रवाहित जलधारा है जो किसी बड़े हिमनद या जलाशय आदि से निकलती है और एक निश्चित मार्ग में बहते हुए किसी झील या सागर में समाहित हो जाती है l नदियाँ प्रायः किसी हिमनद/ग्लेशियर, झील या बारिश के जल जैसे स्त्रोतों से जल प्राप्त करती है l
नदियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती है - बारहमासी (हिमालय की नदियाँ ) और मौसमी (प्रायद्वीपीय नदियाँ) l
बारहमासी (हिमालय की नदियाँ ) : बारहमासी नदियों (हिमालय की नदियाँ ) में जल का स्त्रोत मुख्यतः ग्लेशियर या हिमनद होते है ग्लेशियर के पिघलने से इन नदियों में सदैव जल की मात्रा बनी रहती है और वर्षा ऋतु में इनमे जल का स्तर काफी बढ़ जाता है और नदियों में अक्सर बाढ़ आ जाती है l
प्रायद्वीपीय नदियाँ : प्रायद्वीपीय नदियाँ मौसमी होती है उनमे जल का स्त्रोत सामान्यतः वर्षा का जल होता है l गर्मी के मौसम में इन नादियों का जल घटकर छोटी -छोटी धाराओ में बहने लगता है l इस प्रकार की नदियाँ प्रायः गर्मी में मौसम में सूख जाती है l
हिमालय की नदियाँ |
प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
नदी द्वारा उसके बहाव का एक दिशा तंत्र होता है जिसे अपवाह तंत्र कहते है l भारत में लगभग 4000 छोटी बड़ी नदियाँ है l इन्हें इनके अपवाह तंत्र के अनुसार मुख्यतः दो भागो में बांटा जा सकता है l
हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ सिन्धु ,सतलज ,गंगा एवं ब्रह्मपुत्र है हिमालय की ये नदियां हिमालय से भी पूर्ववर्ती है और हिमालय के निर्माण के बाद भी इन्होने अपना मार्ग नहीं बदला और इन्होने वृहद हिमालय में पर्वतो को काटकर गहरी घाटियो का निर्माण किया जिसे गार्ज कहते है l
सिन्धु गार्ज : जम्मू कश्मीर में गिलगित के समीप सिन्धु नदी पर
शीपकिला गार्ज : हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी पर
दिहांग गार्ज : ब्रह्मपुत्र नदी पर
इसके आलावा अन्य नदियाँ चम्बल, केन, बेतवा व सोन है l हिमालय के उठने के कारण इन नदियों का मार्ग निश्चित हुआ है और ये नदियाँ पूर्व की ओर बहने लगी l कुछ नदियाँ हिमालय के दक्षिण की ओर से पूर्व से पश्चिम की ओर बहने लगी जो कि पाकिस्तान में सिन्धु नदी में मिलकर अरब सागर में अपना जल गिराती है l इन नदियों की लम्बाई अधिक होती है और और कई महत्वपूर्ण नदियाँ इनमे आकर मिलती है अतः किसी नदी व उसकी सहायक नदियों को ही नदी तंत्र कहा जाता है l हिमालय अपवाह तंत्र को मुख्यतः तीन नदी तंत्रों में बांटा जा सकता है l
सिन्धु नदी तंत्र - सिन्धु नदी हिमालय के मानसरोवर के निकट स्थित समोख्याब हिमनद में निकलती है l यह नदी पश्चिम की ओर बहती है और भारत के लद्धाख राज्य में प्रवेश करती है l भारत और पाकिस्तान के बीच सिन्धु जल समझोते (1960) के अनुसार भारत सिन्धु और उसकी सहायक नदियों के जल का केवल 20% जल ही उपयोग कर सकता है l सिन्धु नदी के जल का प्रयोग हम पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में सिचाई कार्यो के लिए करते है l
सिन्धु में बाए तट से आकर मिलने वाली नदियों का प्रमुख क्रम इस प्रकार है - झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज
सिन्धु नदी तंत्र में झेलम एकमात्र ऐसी नदी है जो जम्मू कश्मीर (बेरीनाग के समीप शेषनाग झील से ) से निकलती है और वुलर झील में मिल जाती है यह नदी लगभग भारत व पाकिस्तान की सीमा के समान्तर बहती है l जबकि अन्य तीन नदियाँ - चिनाब, रावी और व्यास हिमाचल प्रदेश से निकलती है l चेनाब , सिन्धु की सबसे लम्बी सहायक नदी है इसे हिमाचल में चद्रभागा कहा जाता है l व्यास, सतलज की सहायक नदी है यह एक ऐसी नदी है जो पाकिस्तान में प्रवेश न करके कपूरथला के पास हरिके नमक स्थान पर सतलज में मिल जाती है l सिन्धु नदी तंत्र की 5 प्रमुख नदियाँ जो पंजाब में बहती है उन्हें पंचनद कहा जाता है ये पांचो नदियाँ पाकिस्तान के मिठानकोट के पास सिन्धु नदी में मिल जाती है इसके पश्चात सिन्धु नदी दक्षिण की ओर बहती है और अंत में कराची से पूर्व की ओर अरब सागर में गिर जाती है l सिन्धु नदी का कुछ भाग जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में स्थित है जबकि शेष भाग पाकिस्तान में स्थित है l
सिन्धु नदी तंत्रों की नदियों का उद्गम स्थल
नदी |
उद्गम स्थल |
संगम |
लम्बाई |
|
मानसरोवर की निकट सानोख्याब हिमनद से | अरब सागर | 2880(कुल लम्बाई) 709(भारत में) |
|
मानसरोवर के निकट राकसताल से | सिन्धु नदी | 1050 |
|
जम्मू कश्मीर के निकट बेरीनाग के समीप शेषनाग झील से | सिन्धु नदी | 724 |
|
हिमाचल प्रदेश में बरालान्चा दर्रे के निकट से | सतलज नदी | 1180 |
|
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के रोहतांग दर्रे से | चिनाब नदी | 725 |
|
हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास स्थित व्यास कुंड से | सिन्धु नदी | 470 |
सिन्धु नदी में बाए तट से आकर मिलने वाली नदियाँ : जास्कर, श्यांग, शिगार, गिलगित
सिन्धु नदी में दाए तट से आकर मिलने वाली नदियाँ : श्योक, काबुल, कुर्रम, गोमल
गंगा नदी तंत्र - गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से होता है यहाँ यह भागीरथी के नाम से निकलती है l गंगा की दो शीर्ष धराए अलकनंदा और भागीरथी है l अलकनंदा नदी सतोपंथ हिमानी से निकलती है और देवप्रयाग में भागीरथी नदी से मिलती है l अलकनंदा नदी का निर्माण दो धाराओ के मिलने से होता है - धौली गंगा और विष्णु गंगा l ये दोनों नदियाँ विष्णु प्रयाग में मिलती है और अलकनंदा नदी का निर्माण करती है देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा नदी मिलने के बाद दोनों की संयुक्त धारा गंगा कहलाती है l पिंडार नदी कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी में मिलती है और मन्दाकिनी नदी रूद्रप्रयाग में अलकनंदा में मिल जाती है l हरिद्वार के पास गंगा नदी पर्वतीय भाग को छोड़कर मैदानी भाग में प्रवेश करती है l इसके बाद इसमें कई सहायक नदियाँ आकर मिल जाती है l गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी यमुना है जो उत्तरखंड के बन्दरपूँछ के पश्चमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमनद से निकलती है और गंगा नदी के दाए किनारे के समान्तर बहते हुए प्रयागराज के पास गंगा नदी में जाकर मिल जाती है l प्रायद्वीपीय पठार से निकलकर दक्षिण की ओर से आकर गंगा में मिलने वाली नदियाँ सोन, बेतवा व चम्बल है l चम्बल और बेतवा नदी गंगा नदी में सीधे न मिलकर यमुना में अपना जल गिराती है l टोंस नदी इलाहाबाद के पास गंगा में मिल जाती है और सोन नदी पटना के समीप गंगा नदी में मिल जाती है l गोमती नदी गंगा की एकमात्र सहायक नदी है जो मैदानी क्षेत्र से निकलती है इसका उद्गम उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के मैदान में फुलहर झील से होता है l घाघरा, गंडक व कोसी नेपाल से भारत में प्रवेश करती है l और बिहार में गंगा में मिल जाती है l गंडक नदी को नेपाल में नारायणी या शालिग्राम कहते है l इन नदियों के कारण ही प्रत्येक वर्ष उत्तरी भारत में कुछ भागो में बाढ़ आती है और भारी जान माल का नुकसान होता है l लेकिन दूसरी और ये नदियाँ कृषि हेतु उपजाऊ भूमि भी प्रदान करती है l महानंदा नदी गंगा की सबसे पूर्वी व अंतिम सहायक नदी है l यह पश्चिम बंगाल में दार्जलिंग की पहाड़ी से निकलती है l
गंगा में बाए तट से आकर मिलने वाली नदियाँ : रामगंगा, गोमती, घाघरा(तीनो उत्तर प्रदेश में प्रवाहित), गंडक, कोसी(दोनों बिहार में प्रवाहित), महानंदा(बिहार व पश्चिम बंगाल की सीमा पर ) l
गंगा में दाए तट से आकर मिलने वाली नदियाँ : चम्बल, सिंध, बेतवा, केन, सोन, टोंस l
सहायक नदियों से जल प्राप्त करके गंगा पूर्व दिशा में बहने लगती है और पश्चिम बंगाल के फरक्का तक बहती है l यहाँ यह नदी दो भागो में बंट जाती है - भागीरथी और हुबली (हुबली नदी विश्व की सबसे विश्वासघाती नदी है ) l इसके पश्चात् यह दक्षिण की ओर बहती है और बाद में बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है जबकि इसकी मुख्य धारा (भागीरथी) दक्षिण की ओर बहते हुए बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है यहाँ इसे 'पद्मा' के नाम से जाना जाता है l यही पर पावना से पूर्व बोलुन्ड़ो के पास ब्रह्मपुत्र नदी, जो कि बांग्लादेश में 'जमुना' के नाम से जानी जाती है, इसमें मिल जाती है l बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व गंगा व ब्रह्मपुत्र की संयुक्त धारा 'मेघना ' के नाम से जानी जाती है l समुद्र में गिरने से पूर्व ये कई छोटी छोटी धाराओं में बंट जाती है और बंगाल की खाड़ी के समीप डेल्टा का निर्माण करती है l यहाँ पर गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा जिसे 'सुंदरवन डेल्टा' कहते है, निर्मित है l सुंदरवन डेल्टा का विस्तार हुबली नदी से लेकर मेघना नदी तक है और अपनी उपजाऊ भूमि के कारण यह वनों से ढका हुआ है l यहाँ पर सुन्दरी नामक वृक्ष पाए जाते है इसलिए इसका नाम सुंदरवन पड़ा l यहाँ पर रॉयल बंगाल टाइगर भी पाए जाते है l
अंबाला नगर, सिन्धु व गंगा नदी तंत्रों के बीच जल विभाजक पर स्थित है l
नदी |
उद्गम स्थल |
संगम |
लम्बाई |
|
गोमुख के निकट गंतोत्री हिमनद से |
बंगाल की खाड़ी |
2525 |
|
बन्दरपूँछ के निकट यमुनोत्री हिमनद से |
प्रयागराज में गंगा नदी में |
1375 |
|
मध्य प्रदेश के महू के निकट स्थित जनापावं की पहाड़ी से |
उत्तर प्रदेश के इटावा के समीप यमुना नदी में |
1050 |
|
मानसरोवर की दक्षिण में गर्ल मंडोला से |
सारण व बलिया जिले की सीमा पर गंगा नदी में |
1080 |
|
नेपाल हिमालय में धौलागिरी व माऊंट एवरेस्ट के बीच से |
पटना के समीप सोनपुर में गंगा नदी में |
425 |
|
तिब्बत में माऊंट एवरेस्ट के उत्तर में |
करागोल के दक्षिण पश्चिम में गंगा नदी में |
730 |
|
विध्यांचल पर्वत |
हमीरपुर के पास यमुना नदी में |
480 |
|
अमरकंटक की पहाड़ी |
पटना के समीप गंगा नदी में |
780 |
|
उत्तरखंड के नैनताल के समीप से |
कन्नौज के पास गंगा नदी में |
696 |
|
नेपाल हिमालय में मिलाम हिमनद में |
घाघरा नदी में |
_ |
|
दार्जिलिंग पहाड़ियों से |
गंगा नदी में |
_ |
यमुना नदी में बाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : टोंस, हिंडोन, शारदा, कुंता, गिरी, हनुमान गंगा।
यमुना नदी में दाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : चंबल, बेतवा, केन, सिंध।
चम्बल की सहायक नदियाँ : बनास, क्षिप्रा, बामनी, काली, सिंध, पार्वती, ब्राह्मणी l
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र - ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर के निकट चेमयुंगडुंग हिमनद से होता है l तिब्बत में इसे सांग्पो के नाम से जाना जाता है l ये हिमालय के सामानांतर पूर्व दिशा में बहती है l इसका अपवाह तंत्र चीन, भारत व बांग्लादेश में विस्तृत है l भारत के नामचा बरवा पर्वत शिखर के पास पहुचकर U आकार का मोड़ लेकर अरुणाचल प्रदेश में गार्ज के माध्यम से प्रवेश करती है और अरुणाचल प्रदेश में यह 'दिहांग ' के नाम जानी जाती है l इसके पश्चात् दिबांग, लोहित व केनुला आदि सहायक नदियाँ इसमें मिलती है और तब यह असम में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है l असम में इसमें कई नदियाँ जैसे मानस, धनश्री, शुभान्श्री, भरेली आदि आकर मिल जाती है l असम में ब्रह्मपुत्र नदी कई धाराओं में बहती है और घुमावदार जलमार्ग बनाती है l यहाँ ब्रह्मपुत्र नदी कई द्वीपों का निर्माण करती है जिसमे से 'माजुली द्वीप ' विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है [मंजुली भारत का एकमात्र नदी जिला है ] l असम से यह सादिया से धुवरी तक रैम्प घाटी में प्रवाहित होती है l धुवरी तट से यह पश्चिम की ओर बहती है और आगे गोलपारा से यह बांग्लादेश में प्रवेश करती है जहाँ इसे 'जमुना ' के नाम से जाना जाता है l इसके पश्चात् इसमें 'मेघना नदी ' जो मणिपुर की पहाड़ी से निकलती है और बाराक कहलाती है, भैरवबाज़ार के समीप ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती है l अंत में यह बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है l इसकी कुल लम्बाई लगभग 2900 किमी है l
ब्रह्मपुत्र नदी में बाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : दिबांग, लोहित, धनश्री, शुभांशी, मानस, सनकोष, कामेंग l
ब्रह्मपुत्र नदी में दाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : जियाबरेली, मानस, रेंडर, तीस्ता।
प्रायद्वीपीय नदियाँ हिमालय की नदियों की तुलना में पुरानी है व प्रौंढ अवस्था में है l बहते-बहते ये नदियाँ अपने तल तक पहुचं गयी है इसलिए इनका प्रवाह मंद हो गया है और ये चौड़ी हो गयी है l अब इनके मार्ग घुमावदार न होकर निश्चित हो गये है l प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र में दो प्रकार की नदियाँ है - बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली और अरब सागर में गिरने वाली l
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ : महानदी, गोदावरी, कृष्णा, ब्राह्मणी, कावेरी, पेन्नार , वैगई, दामोदर, स्वर्णरेखा, वैतरिणी l
महानदी : महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के रायपुर के समीप धमतरी जिले में स्थित सिंहावा से होता है और यह पूर्व व दक्षिण पूर्व की और बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है l यह नदी 53% मध्य प्रदेश में व 47% छत्तीसगढ़ में और ओडिशा में बहती है l सागर में गिरने से पूर्व महानदी कटक के समीप महत्वपूर्ण डेल्टा बनाती है l महानदी पर हीराकुंड, नाराज़, गंगरेल व रुद्री जैसी बहुउद्देशीय परियोजना है l इसकी कुल लम्बाई 860 किमी है l महानदी 'छत्तीसगढ़ राज्य की गंगा' भी कही जाती है। छत्तीसगढ़ में महानदी के बेसिन को 'धान का कटोरा 'कहते है l
महानदी में बाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : शिवनाथ, हंसदेव, मांड, बोरई, ईब l
महानदी में दाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : जोंक, दूध, सोंढूर, पैरी
गोदावरी : गोदावरी नदी का उद्गम महाराष्ट्र के नासिक जिले में पश्चमी घाट में स्थित 'त्रियम्बकम ' गाँव की एक पहाड़ी से होता है l यह प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है और गंगा के बाद भारत के दूसरी सबसे लम्बी नदी है l इस नदी की कुल लम्बाई 1500 किमी है l यह नदी महाराष्ट्र में 44%, आंध्रप्रदेश में 23% व मध्य प्रदेश में 20% बहती है l यह नदी नौकायन हेतु भी उपयुक्त है l अपने बड़े आकार और विस्तार के कारण इसे 'दक्षिण गंगा' कहते है l श्रीराम सागर, गोदावरी बांध, जायकवाड़ी आदि कुछ प्रमुख बांध गोदावरी नदी पर हैं।
गोदावरी नदी में बाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : पूर्णा, वर्धा, पेनगंगा, वेनगंगा(सबसे लम्बी सहायक नदी), प्रन्हिता, इन्द्रावती, पेंच , कानहन, शबरी l
गोदावरी नदी में दाए ओर मिलने वाली नदियाँ : प्रवरा, मुला, मांजरा, पेद्दावगु, मानेर l
कृष्णा : कृष्णा नदी महाराष्ट्र के पश्चमी घाट में 'महाबालेश्वर ' के समीप से निकलती है l इसकी लम्बाई लगभग 1400 किमी है और यह प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है l यह नदी 44% कर्नाटक, 29% आंध्रप्रदेश और 27% महाराष्ट्र से होकर बहती है l कृष्णा नदी की सबसे आखिरी सहायक नदी मूसी , वज़ीराबाद के पास आकर इसमें मिलती है l कृष्णा और उसकी सहायक नदियों पर बने हुए कुछ प्रमुख बांध इस प्रकार हैं:- तुंगभद्रा, नागार्जुनसागर, मालप्रभा, भीमा ,कोयना आदि l
कृष्णा नदी में बाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : भीमा, मेन्नुर, मूसी
कृष्णा नदी में दाए ओर मिलने वाली नदियाँ : घाटप्रभा, माप्रभा, तुंगभद्रा(सबसे लम्बी सहायक नदी) l
कृष्णा नदी की अन्य सहायक नदियाँ : पंचगंगा, दूधगंगा, वेनगंगा, कोइना, कुंडली, वरुणा, मेला।
कावेरी नदी : कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के कुर्म जिले की 'ब्रह्मगिरी पहाड़ी ' से होता है l इसकी लम्बाई लगभग 760 किमी है और यह तमिलनाडु में कुडलूर के दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है l यह नदी 3% केरल, 41% कर्नाटक व 50% तमिलनाडु में बहती है l कावेरी नदी तिरुचिरापल्ली के समीप कावेरी डेल्टा भी बनाती है और कावेरी नदी भारत में दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात बनाती है जिसे 'शिवसमुद्रम जलप्रपात ' कहते है l कावेरी नदी को 'दक्षिण की गंगा' भी कहते है क्योकि इसमें वर्षभर जल बना रहता है इसका कारण है कर्नाटक में दक्षिण पश्चिम मानसून से प्राप्त होने वाला जल व तमिलनाडु में उत्तर पूर्व मानसून से प्राप्त होने वाला जल l कावेरी नदी की घाटी धान उत्पादन हेतु प्रसिद्द है अतः इसे 'दक्षिण भारत का धान का कटोरा ' भी कहते है l
कावेरी नदी में बाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : भवानी, अमरावती, काबिनी, नोय्यल, लक्ष्मणा, तीर्था l
कावेरी नदी में दाए और से मिलने वाली नदियाँ : हेमावती, सिम्सा, अर्कावती ll
पेन्नार नदी : पेन्नार नदी का उद्गम कर्नाटक के कोलार जिले के 'नन्दिदुर्ग पहाड़ी' से होता है l यह नदी कृष्णा व कावेरी नदी के बीच में स्थित है l
वैगई नदी : वैगई नदी का उद्गम तमिलनाडु के मदुरै जिले में 'वरुशनाथ पहाड़ी ' से होता है l यह नदी पाक की खाड़ी में गिरती है l मदुरै इसी नदी के तट पर स्थित है l
दामोदर नदी, स्वर्णरेखा नदी व ब्राह्मणी नदी छोटा नागपुर पठार से निकलती है l दामोदर नदी भ्रंस घाटी में बहती है और हुबली में अपना जल गिराती है l वैतरिणी नदी उड़ीसा के क्योझर पठार से निकलती है l
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों का उत्तर से दक्षिण की ओर क्रम - दामोदर, स्वर्णरेखा, वैतरणी, ब्राह्मणी, महानदी, गोदावरी, कृष्णा पेन्नार, कावेरी, बैगाई, ताम्रपर्णी ।
उपर्युक्त सभी नदियाँ बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है l
अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ : लूनी, साबरमती, माही, नर्मदा, तापी, मांडवी, जुराबे, शरावती, गंगावैली, पेरियार, भरतपूजा ।
नर्मदा नदी : नर्मदा नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में विद्यांचल पर्वत श्रेणी में स्थित 'अमरकंटक' नामक स्थान से होता है l यह नदी मध्य प्रदेश में 87%, गुजरात में 11.5% और महाराष्ट्र में 11.5% बहती है। नर्मदा नदी की सर्वाधिक लम्बाई मध्य प्रदेश में है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहते है। नर्मदा नदी अरब सागर में गिरने वाली प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी है। यह सतपुड़ा व विंध्य के बीच में एक भ्रंश घाटी में बहती है। नर्मदा नदी जबलपुर के निकट भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों में 'कपिलधारा या धुआंधार ' जलप्रपात बनाती है। बरगी बाँध जबलपुर के पास नर्मदा नदी पर स्थित एक वृहद बाँध है l इंदिरा सागर परियोजना , ओंकारेश्वर बहुउद्देश्यीय परियोजना, महेश्वर जल विद्युत परियोजना, सरदार सरोवर परियोजना आदि नर्मदा नदी पर स्थित है l नर्मदा नदी खंभात की खाड़ी में गिरती है। नर्मदा नदी की कुल लम्बाई 1312 किमी है l
नर्मदा नदी में बाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : शक्कर, तवा, गंजाल, करजन, दूधी, बरनार, शेर, देव l
नर्मदा नदी में दाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : हिरदन, कोलार, हथनी, ओरसांग, तिन्दोली, हिरन, मान l
ताप्ती नदी : ताप्ती नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के 'मुलताई से सतपुड़ा की श्रेणी ' से होता है। यह नदी 79% महाराष्ट्र में, 15% मध्य प्रदेश में व 6% गुजरात में बहती है l यह नदी सतपुड़ा व अजंता के बीच भ्रंश घाटी में बहती है l तापी नदी अरब सागर में जल गिराने वाली प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। ताप्ती नदी खम्भात की खाड़ी में गिरती है l खम्भात की खाड़ी में गिरने से पूर्व इसके मुहाने पर सूरत शहर बसा हुआ है l ताप्ती नदी पर काकरापारा व उकाई (गुजरात) जैसी परियोजनाये बनी है l ताप्ती नदी की कुल लम्बाई 724 किमी है l
ताप्ती नदी की सहायक नदियाँ : मिन्धोला, गिरना, पन्ज़ारा, वाघूर, पूर्णा, बोरी एवं आनेर।
साबरमती नदी : साबरमती नदी का उद्गम राजस्थान के उदयपुर जिले में 'अरावली पर्वत श्रृंखला' से होता है। धरोई बाँध योजना साबरमती नदी पर स्थित है l इसके द्वारा साबरमती नदी के जल का प्रयोग गुजरात में सिंचाई और विद्युत् उत्पादन के लिए होता है। गांधी जी ने 1915 में अहमदाबाद में साबरमती नदी के तट पर साबरमती आश्रम की स्थापना की। साबरमती नदी की कुल लम्बाई 371 किमी है l
साबरमती नदी की सहायक नदियाँ : वाकल, सेई, हरनव, मोहर, हाथमती, वतक, मेसवा, वटराक,खारी और मधुमती ।
माही नदी : माही नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के धार जिले के समीप मिन्डा ग्राम की 'विध्यांचल पर्वत श्रंखला' से होता है l माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटने वाली भारत की एकमात्र नदी है l बजाज सागर (बांसवाड़ा)एवं कदाणा बाँध माही नदी पर बना है l माही नदी की कुल लम्बाई 576 किमी है l
माही नदी की सहायक नदियाँ : सोम, जाखम, चाप, बनास, मोरेन, इरू l
लूनी नदी : लूनी नदी का उद्गम राजस्थान के अरावली पर्वत के निकट अजमेर जिले की 'नाग पहाड़ी' से होता है l हेमावास बाँध, सरदार समंद बाँध, जवाई बाँध, बाँकली बाँध लूनी नदी पर स्थित बाँध है l लूनी नदी की कुल लंबाई 495 किमी है। लूनी नदी गुजरात के कच्छ जिले में प्रवेश करती है, और इसके पश्चात् 'कच्छ के रन ' में विलुप्त हो जाती है। लूनी नदी अत्यधिक लवणीय है और अत्यधिक लवणता के कारण इसका नाम 'लूनी' पड़ा है। जोजड़ी के अलावा लूनी की अन्य सभी सहायक नदियाँ अरावली से निकलती है।
लूनी नदी में बाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : जवाई, सूकड़ी, सायला, बांडी, मीठड़ी, खारी, जवाई, गुहिया, सागी l
लूनी नदी में दाए ओर से मिलने वाली नदियाँ : जोजड़ी l
घग्घर नदी : घग्घर नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश के शिवालिक पहाड़ी में शिमला के पास से होता है l घग्घर नदी राजस्थान के गंगानगर में प्रवेश करती है और थार के मरुस्थल में विलुप्त हो जाती है l घग्घर नदी की कुल लम्बाई 456 किमी है l
पश्चमी घाट से निकालकर अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ : शतरंजी नदी, मादर नदी(गुजरात), मांडवी नदी(गोवा की राजधानी पणजी इस नदी पर स्थित है ), जुआरी नदी(गोवा), शरावती नदी(जोग जलप्रपात जिसकी लम्बाई 271 मीटर है,इस नदी पर स्थित है ), गंगावेली नदी(कर्नाटक), भरतपुरवा नदी(केरल की सबसे लम्बी नदी), पेरियार नदी(केरल की दूसरी सबसे लम्बी नदी), पाम्बा नदी(केरल) l
अरब सागर में गिरने वाली नदियों का उत्तर से दक्षिण की ओर क्रम - लूनी, साबरमती, माही, नर्मदा, तापी, मांडवी, जुआरी, सारावती, गंगावैली, पेरियार, भरतपुरवा l
भारत की नदियाँ हिमालय व प्रायद्वीपीय भारत के निकलती है और बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर तक के सफ़र को पूरा करती है और इस दौरान यह विभिन्न राज्यों से होकर गुजरती है और वहां उपजाऊ भूमि प्रदान करती है l भारत की नदियाँ जिन राज्यों से होकर गुजरती है उनकी सूची निम्नलिखित है -
नदी |
सम्बंधित राज्य |
गंगा | उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल |
यमुना | उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश |
सिन्धु | जम्मू कश्मीर |
रावी | हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब |
सतलज | हिमाचल प्रदेश, पंजाब |
चिनाब | हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब |
व्यास | हिमाचल प्रदेश, पंजाब |
झेलम | जम्मू कश्मीर |
ब्रह्मपुत्र | अरुणाचल प्रदेश, असम |
चम्बल | राजस्थान, मध्य प्रदेश |
गोदावरी | महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश , तेलंगाना |
कृष्णा | महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश |
नर्मदा | राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश |
ताप्ती | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात |
कावेरी | कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु |
लूनी | राजस्थान |
घग्घर | उत्तर प्रदेश, बिहार |
महानदी | मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा |
सहायक नदियाँ वे नदियाँ होती है जो किसी मुख्य नदी में समाहित हो जाती है l सहायक नदियाँ सीधे जाकर किसी सागर में नहीं गिरती बल्कि मुख्य नदियों की साथ मिलकर सागर में गिरती है l सहायक नदियों के कुछ उदाहरण इस प्रकार है - यमुना, रावी, व्यास, सतलज, घाघरा, गोमती l
उपसहायक नदियाँ वे नदियाँ होती है जो किसी मुख्य नदी में न मिलकर उस नदी की सहयक नदी में जाकर मिलती है l ये नदियाँ अपना जल मुख्य नदी की सहायक नदी में गिराती है और फिर सहायक नदी जाकर अपना जल मुख्य नदी में गिराती है l उपसहायक नदियों के कुछ उदाहरण इस प्रकार है - चम्बल, केन, बेतवा, सिंध, टोंस (ये सभी अपना जल गंगा की सहायक नदी यमुना में गिराती है l)
अन्तः स्थलीय नदियाँ वे नदियाँ है जो किसी सागर में नहीं गिरती बल्कि मार्ग में विलुप्त हो जाती है l लूनी नदी व घग्घर नदी इसका उदहारण है l लूनी नदी कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है और घग्घर नदी राजस्थान के हनुमानगढ़ में विलुप्त हो जाती है l
नदियों के मुहाने पर नदियों द्वारा लाये गये अवसादों के निक्षेपण से बनी त्रिभुजाकार आकृति को 'डेल्टा' कहते है l डेल्टा शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम हेरोडोटस ने नील नदी के लिए किया था l भारत में डेल्टा बनाने वाली प्रमुख नदियाँ - गंगा, कावेरी, कृष्णा, महानदी
भारत की नदियाँ या तो बंगाल की खाड़ी में या अरब सागर में गिरती है l जहाँ पर नदी का जल सागर में गिरता है वहां पर मीठा पानी खारे पानी में जाकर मिलता है और वहां पर नदियों द्वारा लायी गयी मिटटी व अवसाद जमा होने लगते है l इस प्रकार नदियों की धारा कई छोटी-छोटी धाराओ में बंट जाती है l यह क्षेत्र नदी का 'मुहाना ' कहलाता है l
विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा भारत व बांग्लादेश के बीच गंगा व ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा निर्मित 'सुंदरवन डेल्टा ' है l इसे गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा, बंगाल डेल्टा या ग्रीन डेल्टा भी कहते है l गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा दुनिया में सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रो में से एक है l यह क्षेत्र अत्याधिक उपजाऊ है और यहाँ चावल, चाय, जूट सहित कई अन्य फसलों की खेती की जाती है l यहाँ विश्व का सबसे अधिक जूट उत्पादन भी होता है l इस क्षेत्र के लोगो के लिए मत्स्य पालन भी प्रमुख व्यवसाय है l यहाँ पर बड़ी मात्रा में सुन्दरी नामक वृक्ष पाए जाते है जिस कारण इन वनों का नाम सुंदरवन पड़ा l
नदियाँ जब समुद्र में मिलती हैं। तब नदी द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी समुद्र के समीप जमा होने लगती है। इस कारण धीरे धीरे नदी की धारा कई छोटे छोटे भागों में बँट जाती है। इस प्रकार से एस्चुरी का निर्माण होता है। एस्चुरी बनाने वाली नदियाँ - नर्मदा, ताप्ती
भारत की 10 सबसे लम्बी नदियाँ उनके लम्बाई के अनुसार इस प्रकार है -
नदी |
लम्बाई (किमी में ) |
ब्रह्मपुत्र |
2900 |
सिन्धु |
2880 |
गंगा |
2525 |
गोदावरी |
1465 |
कृष्णा |
1401 |
यमुना |
1376 |
नर्मदा |
1312 |
महानदी |
851 |
कावेरी |
800 |
ताप्ती |
724 |
नदियों की हमारे जीवन में हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है l बिना जल के जीवन संभव नहीं है l प्राचीन काल से ही मानव सभ्यता का विकास नदियों के किनारे हुआ है क्योकि नदियों से हमें पीने का जल मिलता है, नदियाँ परिवहन का साधन होती है, मछली पकड़ने की सुविधा, कृषि हेतु उपजाऊ भूमि आदि प्राप्त होती है l इसलिए नदियाँ सदैव मानव जाति को अपनी ओर आकर्षित करती है क्योकि नदियाँ उनके विकास हेतु अनुकूल होती है l इसलिए कई शेहरों एवं कस्बो का विकास नदियों के किनारे हुआ l भारत के कई प्रमुख शहर नदियों के किनारे बसे हुए है l नदियों के किनारे बसे भारतीय शहरों की सूची इस प्रकार है -
नदी |
अवस्थित शहर |
अलकनंदा |
बद्रीनाथ |
गंगा |
हरिद्वार, कानपुर, पटना, प्रयागराज, फरुखाबाद, फतेहगढ़, कन्नौज, वाराणसी, ऋषिकेश |
यमुना |
दिल्ली, आगरा, मथुरा, औरैय्या, इटावा |
ब्रह्मपुत्र |
डीब्रूगढ़, गुवाहाटी |
सिन्धु |
पंजाब |
चिनाब |
शिमला, चंडीगढ़ |
चम्बल |
ग्वालियर, कोटा, धौलपुर |
झेलम |
श्रीनगर |
सतलज |
फिरोजपुर, लुधियाना |
नर्मदा |
जबलपुर, भेडाघाट |
गोदावरी |
राजमुंदरी, नांदेड, नासिक |
ताप्ती |
सूरत |
कावेरी |
तिरुचिरापल्ली, श्रीरंगपट्टनम |
कृष्णा |
विजयवाड़ा, सांगली, अमरावती |
साबरमती |
अहमदाबाद |
मूसी |
हैदराबाद |
सरयू |
अयोध्या |
महानदी |
कटक, संभलपुर |
हुगली |
कोलकाता |
राप्ती |
गोरखपुर |
ब्राह्मणी |
राउरकेला |
वैगई |
मदुरै |
नोय्यल |
कोयम्बटूर |
अड्यार |
चेन्नई |
क्षिप्रा |
उज्जैन |
सुवर्णरेखा |
जमशेदपुर |
बेतवा |
झाँसी |
दामोदर |
दुर्गापुर |
गोमती |
लखनऊ, जौनपुर |
मांडवी |
पणजी |
नदियों का देश की अर्थव्यवस्था में महतवपूर्ण योगदान होता है l नदियों के जल का उपयोग परिवहन, सिंचाई, मतस्य उद्योग, कृषि व जलविद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है l नदियाँ अपने साथ अवसादों को बहाकर लाती है और डेल्टा का निर्माण करती है और कृषि हेतु उपजाऊ भूमि प्रदान करती है l यहाँ निवास करने वाले लोगो को अपनी आजीविका हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त हो जाती है l नदियों पर बांधो का निर्माण किया जाता है और आवगामन के लिए बड़े बड़े पुलों का निर्माण किया जाता है l भारत की कई नदियों के किनारे महत्वपूर्ण तथा प्राकृति सौंदर्य से भरपूर कई पर्यटन स्थल है जो कि हमारी राष्ट्रीय आय का स्त्रोत है l उदाहरण के लिए गंगा नदी के किनारे हरिद्वार, प्रयागराज व वाराणसी जैसे धार्मिक स्थल स्थित है जहाँ लाखो की संख्या में देसी व विदेशी श्रद्धालु आते है l उत्तराखंड के ऋषिकेश व बद्रीनाथ में भी लोग पर्यटन का लुफ्त उठाने के लिए आते है l यह स्थल पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करके भारत के आर्थिक विकास में विशेष भूमिका निभाते है।
वर्तमान में औद्योगिकरण तीव्र गति से बढ़ रहा है जो की किसी राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है परन्तु औधोयोगिकरण के साथ जो समस्या उभरी है वह है नदियों में बढ़ता प्रदूषण l नदियों का हमारे जीवन में अत्याधिक महत्त्व है l यह सदैव ही मनुष्य के लिए जीवनदायी रही है l भारत में नदियों को काफी पवित्र माना जाता है, नदियों से लोगो की आस्था जुडी हुई है और नदियाँ संभ्यता व संस्कृति का प्रतीक मानी जाती है l परन्तु औद्योगिकरण से नदियों के अस्तित्व पर खतरा देखा जा सकता है l कारखानों से निकलने वाले कार्बनिक कचरा, गन्दगी व पोलीथीन आदि से नदियाँ ही नहीं अपितु नदियों के किनारे स्थित शहर व कस्बे प्रदूषित हो रहे और भूमि भी बंजर होती जा रही है l नदियों के किनारे जो गाँव, कस्बे है वह गन्दगी से बीमारी का दंश झेल रहे है l प्रदूषित नदियों के किनारे निवास करने वाले लोगो को चर्म रोग, कैंसर इत्यादि जैसी गंभीर बीमारियाँ हो जाती है l
भारत में नदियों को माता का दर्जा दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है जबकि दूसरी ओर हम ही उसे प्रदूषित कर रहे है फूल आदि का कचरा व शवो को उसमे फेका जा रहा है इससे नदियाँ प्रदूषित हो रही है तो आप ही सोचिये की किस प्रकार हम नदियों को पवित्र कह सकेंगे l कई धार्मिक कर्मकाण्डो में नदी के जल का उपयोग किया जाता है परन्तु यदि इसी प्रकार से नदियाँ प्रदूषित होती रही तो सोचिये की क्या ऐसा करना उचित होगा ? मनुष्य ही नदियों को प्रदूषित करने का विशेष कारक है l यदि हम सभी अपनी समझदारी व सूझबूझ से नदियों को शुद्ध व स्वच्छ रखें का प्रयास करे तो अवश्य ही यह प्रभावकारी साबित होगा l केवल धार्मिक कर्मकांड और नदी को माता कहने से और उसकी पूजा करने मात्र से ही हमारा कर्तव्य पूर्ण नहीं हो जाता l
भारत में कई छोटी बड़ी नदियाँ है जबकि उनमे से आधे से अधिक नदियाँ प्रदूषित है l दक्षिण-पूर्व नदियों की बात की जाए तो वहां स्थिति संतोषजनक है परन्तु उत्तर भारत में बहने वाली नदियों का बुरा हाल है l सरकार द्वारा समय समय पर नदियों की स्वच्छता के कार्यक्रम चलाये जाते है परन्तु वह भी ठीक ढंग से क्रियान्वित नहीं हो पाते l गंगा नदी हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र मानी जाती है और लोगो की आस्था इससे जुडी हुई है l सरकार द्वारा गंगा सफाई हेतु अभियान चलाया गया और 2000 करोड़ रू खर्च किये गये परन्तु स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और स्थिति जस की तस बनी हुई है l
प्रदूषण नियंत्रण विभाग जिसका कार्य नदियों को प्रदूषण मुक्त करना होता है यदि वह नदी स्वच्छता कार्यक्रमों को गंभीरता के साथ क्रियान्वित करेंगे और आवश्यक कार्यवाही करेंगे तो नदियों की स्थित में काफी सुधार हो सकता है इसके साथ ही आमजन को भी अपने कर्तव्य को समझना होगा क्योकि आमजन के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है l नदियाँ हमारे जीवन का अमूल्य हिस्सा है और थोड़े से लाभ हेतु व अपनी स्वार्थ पूर्ती हेतु हमें इसे प्रदूषित नहीं करना चाहिए l