हम सभी जानते है कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के विकास में बैंकिंग प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है l देश की वित्तीय व्यवस्था को बढावा देने के लिए बैंकिंग प्रणाली का योगदान बहुत अहम होता है l आज के युग में बैंक विश्वभर में लोगो के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है जिसके बिना किसी देश की अर्थव्यवस्था की कल्पना भी नहीं की जा सकती है और यदि हमें किसी देश की अर्थव्यवस्था का आंकलन करना है तो उस देश की बैंकिंग प्रणाली के बारे में भी जानना काफी आवश्यक हो जाता है l तो आइये जानते है कि बैंकिंग प्रणाली क्या होती है और कैसे काम करती है इस लेख में हम भारत में स्थित बैंको के बारे में जानेंगे और उनके क्या कार्य है इस विषय में भी चर्चा करेंगे l तो आइये सबसे पहले जानते है की बैंक क्या होता है और उसका क्या महत्व है l
बैंक - "बैंक एक ऐसी संस्था है जो मुद्रा व साख का लेनदेन करती है l यह अपने ग्राहकों के धन को जमा के रूप स्वीकार करती है और उनका भुगतान चेक , ड्राफ्ट आदि द्वारा मांगे जाने पर करती है" l
बैंकिंग प्रणाली का आधार वस्तु विनिमय को माना जाता है l लेनदेन के रूप में मुद्रा का प्रचलन नहीं था अपितु लोग लेनदेन के रूप में वस्तुओं का उपयोग करते थे l लेकिन कुछ समय पश्चात इस प्रणाली का प्रचलन कम होने लगा और लेनदेन का माध्यम मुद्रा को बनाया गया l मुद्रा के प्रचलन बढने के साथ ही इसे सुरक्षित रखने की जरुरत भी महसूस होने लगी इसी समय भारत में कई व्यापारिक कंपनी भी स्थापित हो चुकि थी l और व्यापर से प्राप्त धन को सुरक्षित रखना चाहते थे अतः धन को एक जगह संभाल कर रखने की प्रणाली की शुरुआत हुई और इसे के साथ ब्याज प्रणाली भी शुरू हो गयी l
विश्व का पहला 1406 में इटली के जेनेवा में "बैंको दि सैन जिओर्जिया" के नाम से स्थापित किया गया था l सबसे पुराना बैंक जो 1472 में स्थापित हुआ और अभी भी सेवा में है , "बंका मोंटे देई वसची डी सिएना" जो की इटली में स्थित है l इसके पश्चात विश्वभर में कई बैंक स्थपित हुए और इस प्रणाली ने सभी देशो को लाभान्वित किया l
भारत प्राचीन काल से बहुत सपन्न था और व्यापर के लिए अत्यधिक अनुकूल था अतः यह व्यापारियों के पहली पसंद था भारत में कई देशो के व्यापारी जैसे डच,पुर्तगाली,डेनिस और अंग्रजो ने अपने उपनिवेश स्थापित किये l अंग्रेजो ने सबसे अधिक भारत से लाभ कमाया और अपने पैर भारत में जमा लिए l इसके पश्चात व्यापार से कमाए धन को सुरक्षित रखने की आवश्यकता महसूस होने लगी l अतः अंग्रेजो ने इंग्लैंड में स्थित बैंकिंग प्रणाली की तर्ज़ पर भारत में भी बैंकिंग प्रणाली के शुरुआत की और इस प्रकार भारत की बैंकिंग प्रणाली अंग्रजो की देन है जो आज भी उनकी बनायीं गयी व्यवस्था पर अधारित है l
अंग्रेजो ने भारत में बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत अपने व्यापारिक उद्देश्यों को पूरा करने हेतु की थी और उन्होंने कई एजेंसी गृहों की स्थापना की परन्तु बाद में इसका क्षेत्र काफी बढ गया और इससे कई उद्देश्यों की पूर्ति जैसे ऋण देना,ब्याज प्राप्त करना, धन सुरक्षित रखना और विकास हेतु धन उपलब्ध कराना आदि कार्यो की भी शुरुआत हुई l
ब्रिटिश व अंग्रेजी उपनिवेश काल में 18 वी शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुंबई और कलकत्ता में कुछ एजेन्सी गृहों की स्थापना की l जो की आधुनिक बैंको की भांति कार्य करती थी l बाद में यूरोपियन बैंकिंग पद्वति पर आधारित पहला बैंक विदेशी पूंजी से एलेक्जेंडर एंड कंपनी द्वारा बैंक और हिंदुस्तान के नाम से 1770 में कलकत्ता में खोला गया किन्तु यह बैंक बाद में असफल हो गया l
इसके पश्चात भारत में निजी व सहकारी अंशधारियो की सहायता से तीन प्रेसीडेंसी बैंको की स्थापना की गयी जिसमे बैंक ऑफ़ बंगाल 1806 में बैंक ऑफ़ बॉम्बे 1840 में बैंक ऑफ़ मद्रास 1843 में स्थापित किये गये l इन तीनो बैंको को मिलाकर बाद में इम्पीरियल बैंक की स्थापना 1921 में की गयी l इसके पश्चात् भारत में कई बैंक संयुक्त पूंजी से स्थापित किये गये l जैसे इलाहाबाद बैंक 1865 में , एलाइंस बैंक ऑफ़ शिमला 1881 में,अवध कॉमर्सिअल बैंक 1881 में ,पंजाब नेशनल बैंक 1894 में पीपुल्स बैंक ऑफ़ इंडिया 1901 में स्थापित किये गये l
महत्वपूर्ण तथ्य यह है की 1881 में स्थापित अवध कोमर्सिअल बैंक भारतीयों द्वारा स्थपित व संचालित प्रथम बैंक था l जबकि पूर्ण रूप से भारतीय बैंक पंजाब नेशनल बैंक था l
इसके पश्चात् 20 वी सदी में बैंक ऑफ़ इंडिया 1906 में बैंक ऑफ़ बड़ोदा 1908 में सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया 1911 में बैंक ऑफ़ मैसूर 1913 में स्थापित किये गये l
प्रथम विश्व युद्ध के समय भारतीय बैंको की स्थिति संकट में आ गयी l बैंकिंग प्रणाली पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा और कई बैंक बंद करने पड़े l इसी समय 1917 में टाटा इंडस्ट्रीअल बैंक कि स्थापना हुई l इसके पश्चात् इम्पीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण करके उसका नाम भारतीय स्टेट बैंक रखा गया और अन्य 8 बैंको को स्टेट बैंक के सहायक के रूप में शुरू किया गया वे बैंक है - स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक आफ मैसूर,स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर,स्टेट बैंक आफ पटियाला ,स्टेट बैंक आफ हैदराबाद , स्टेट बैंक ऑफ़ इन्दोर,स्टेट बैंक ऑफ़ सोराष्ट्र l
19 जुलाई 1969 को 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया जिन बैंको का राष्ट्रीयकरण किया गया वह इस प्रकार है - सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया,बैंक ऑफ़ इंडिया,पंजाब नेशनल बैंक,केनरा बैंक,यूनाइटेड कोमेर्सिअल बैंक,सिंडिकेट बैंक,बैंक ऑफ़ बड़ोदा,यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया,देना बैंक, इलाहाबाद बैंक,इंडियन बैंक,इंडियन ओवेर्सीज बैंक, बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र और इंडियन बैंक l
इसके 1 दशक पश्चात् 15 अप्रैल 1980 में 6 अन्य बैंको का भी राष्ट्रीयकरण कर दिया गया l राष्ट्रीयकृत बैंक है - आंध्रा बैंक,पंजाब एंड सिंध बैंक,न्यू बैंक ऑफ़ इंडिया ,विजया बैंक ,कारपोरेशन बैंक और ओरियन्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स l
इसके अंतर्गत वे बैंक जिनकी जमा राशि 50 करोड़ रूपए अथवा इससे ज्यादा थी वे सभी राष्ट्रीयकृत कर दिए गए l
भारत की बैंकिंग प्रणाली बहुत ही व्यापक है अतः इसने अपने अन्दर कई प्रकार के बैंको को समाहित किया हुआ है l भारत में बैंको का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है -
(1) केन्द्रीय बैंक
(2) व्यापारिक बैंक
(3)कृषि बैंक
(4) सार्वजानिक बैंक
(5) निजी बैंक
(6) औध्योगिक बैंक
(7) आयत-निर्यात बैंक
(8) विदेशी बैंक
(9) सहकारी बैंक
(10) बचत बैंक
(11) विनिमय बैंक
इस प्रकार भारत में ये सभी बैंक अपने अपने विशिष्ट कार्यो में कार्यरत है l तो आइये हम इन बैंको की कार्य प्रणाली और विशिष्टिता के बारे में जानते है l
भारतीय रिज़र्व बैंक को देश का केन्द्रीय बैंक कहा जाता है l यह भारत में स्थित सभी बैंको का नियन्त्रक बैंक है l सन 1925-1926 में हिल्टन यंग कमीशन ने सरकार को यह बताया की भारत की आर्थिक स्थति को सुद्रण बनाने के लिए एक केंद्रीय बैंक के आवशयकता हैl अतः सन 1934 में केंद्रीय बैंकिंग जाँच समिति की सिफारिश पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया अधिनियम 1934 पारित हुआ और इस के तहत 1 अप्रैल 1935 को 5 करोड़ की अधिकृत पूंजी के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई l 1 जनवरी 1949 को RBI का राष्ट्रीयकरण हुआ l इसके प्रथम गवर्नर ओस्बोर्न स्मिथ थे (1935-1937) l भारत की स्वतंत्रता के समय इसके गवर्नर सी.डी देशमुख थे (1943-1949)l RBI के कार्यो को संचालन सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर द्वारा होता है l RBI की सुविधा के लिए इसे चार भागो में बांटा गया है -उत्तरी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र,पूर्वी क्षेत्र, पश्चमी क्षेत्र l हर क्षेत्र में 5 सदस्यीय क्षेत्रीय बोर्ड होता है l केन्द्रीय बोर्ड में 1 गवर्नर और अधिकाधिक 4 सहायक गवर्नर होते है l जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा 5 वर्षो हेतु की जाती है और ये सहायक गवर्नर चार बोर्डों में से एक एक गवर्नर को चुना जाता है l इसके आलावा 10 अन्य संचालक और 1 सरकारी अधिकारी भी सरकार के द्वारा नामित किया जाता है l इन सभी मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल 4 वर्ष होता है l
RBI का मुख्य कार्यालय मुंबई में है जबकि जबकि इसके चार स्थानीय बोर्ड कार्यलय दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में है l ये सभी स्थानीय बोर्ड केन्द्रीय बोर्ड के निर्देशन में कार्य करते है l
नोट निर्गमन - 1 रूपए या इससे छोटे नोटों को छोड़कर RBI सभी मूल्य वर्ग के नोट जारी करने का अधिकार रखता है इसके आलावा यह 1 रूपए या इससे कम मूल्य के नोटों को जारी करने के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है l नोट जारी करने के लिए RBI वर्तमान में नोट प्रचालन की न्यूनतम निधि प्रणाली को अपनाता है l इस प्रणाली के तहत RBI को एक विशेष प्रकार के विदेशी ऋण व स्वर्ण के रूप में 200 करोड़ रूपए के मूल्य से आरक्षित होना आवश्यक है इनमे स्वर्ण का मूल्य 115 करोड़ रूपए से कम नहीं होना चाहिए l नोट निर्गमन की यह प्रणाली 1957 के बाद अपनायी गयी l
सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करना - सरकारी बैंकर के रूप में RBI निम्नलिखित कार्य करता है -
बैंको के बैंक के रूप में कार्य करना -
कृषि साख की व्यवस्था करना - इसके लिए RBI ने कृषि साख विभाग की स्थापना की है जिसका कार्य कृषि साख से सम्बंधित समस्यायों का अनुसन्धान करना है l
औधयोगिक वित्त के व्यवस्था करना - RBI ने इसके लिए औधयोगिक वित्त विकास निगम और राज्य वित्त निगम के बड़ी मात्रा में शेयर खरीद रखे है l
निकास गृहों का कार्य करना - बेंकिंग व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए RBI निकास गृहों की स्थापना करता है l कुछ विशेष स्थानों पर RBI इन गृहों की देखभाल स्वयं करता है और बाकी जगह पर इसकी जिम्मेदारी स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को होती है l
इसके आलावा बेंकिंग नियमन अधिनियम 1949 के तहत RBI को अनेक और भी अधिकार प्राप्त है l
वाणिज्यक बैंक वे बैंक होते है जो आमजन के धन को जमा के रूप में स्वीकार करते है और आवश्यकता पड़ने पर या व्यवसाय आदि के लिए लोगो को ऋण भी उपलब्ध कराते है l वाणिज्यक बैंक को व्यापारिक बैंक या व्यावसायिक बैंक भी कहते है l वाणिज्यक बैंक देश की साख निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है l
भारत के कुछ प्रमुख वाणिज्यक बैंक - स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, एक्सिस बैंक आदि l
वाणिज्यक बैंको का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है -
2. गैर अनुसूचित बैंक - गैर अनुसूचित बैंक वे बैंक होते है जो RBI अधिनियम 1934 की दूसरी अनुसूची में सूचीबद्ध नहीं होते l
वाणिज्यक बैंको के कार्यो को हम मुख्य रूप से तीन भागो में बाँट सकते है l (1) मुख्य कार्य (2) गौण कार्य (3) सहायक कार्य
(1) मुख्य कार्य - वाणिज्यक बैंको का मुख्य कार्य जमा स्वीकार करना और जनता को धन उपलब्ध कराना है l
बचत जमा करना - वाणिज्यक बैंक लोगो के धन को निम्न बचत खातो के रूप में जमा करता है l
ऋण प्रदान करना - लोगो को ऋण प्रदान करना वाणिज्यक बैंक का दूसरा मुख्य कार्य होता है l कोई व्यक्ति निम्न प्रकार से ऋण प्राप्त कर सकता है -
(2) गौण कार्य - मुख्य कार्य के अतिरिक्त बैंक के कुछ गौण कार्य भी होते है l
(3) सहायक कार्य - वाणिज्यक बैंक पूंजी निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते है और इस प्रकार देश के आर्थिक विकास में अपना सहयोग देते है l वाणिज्यक बैंको द्वारा व्यवसायियों / उद्यमियों को समय समय पर न उपलब्ध कराया जाता है जिससे वह नवपरिवर्तन करके देश की अर्थव्यवस्था के विकास में अपना सहयोग दे पाते है l इन बैंको द्वारा ब्याज दर पर नियंत्रण भली प्रकार से रखा जाता है ताकि उनके ग्राहकों को ऋण प्राप्ति में कोई भी असुविधा न हो l देश में स्वरोजगार की व्यवस्था करने के लिए बैंक बेरोजगार लोगो के लिए उचित ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराती है lजिससे की प्रत्येक नागरिक स्वरोजगार की व्यवस्था कर पाये l
सहकारी बैंको का गठन सहकारिता के आधार पर होता है l इन बैंको का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र एवं कृषि हेतु वित्तीय साख उपलब्ध कराना होता है l सहकारी बैंक की सीमायें एक बैंक तक ही सीमित होती है l
भारत में सहकारी बैंको का स्तर त्रिस्तरीय है l
कृषि सहकारी समिति - इन समितियों की स्थापना ग्रामीण इलाको ग्रामीण लोगो द्वारा मिलकर की जाती है l
गैर कृषि सहकारी समिति - इन समितियों की स्थापना कस्बो या शहरो में दुकानदार , मजदूरों आदि द्वारा मिलकर की जाती हैl
यह बैंक कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु पूंजी उपलब्ध कराने वाला शीर्ष बैंक है l इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण विकास हेतु कृषको,लघु उद्यमियों, हस्त शिल्पकारो को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना होता है l
नाबार्ड की स्थापना 12 जुलाई 1982 "शिवरामन समिति" की सिफारिश पर 100 करोड़ रू की अधिकृत पूंजी के साथ हुई l इसमें भारत सरकार और रिज़र्व बैंक का सामान योगदान था l नाबार्ड का मुख्यालय मुंबई में है l नाबार्ड के 28 क्षेत्रीय कार्यालय देश में कार्यरत है l नाबार्ड का रिज़र्व बैंक से सीधा सम्बंध है l
नाबार्ड भारत सरकार, रिज़र्व बैंक, विश्व बैंक और अन्य एजेंसियो से ऋण प्राप्त कर सकता है l नाबार्ड सहकारी बैंको, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको आदि को अल्पकालीन,मध्यकालीन और दीर्घकालीन ऋण प्रदान करता है l नाबार्ड ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना का आरम्भ भी किया जो कृषि क्षेत्र के लिए अत्यंत लाभदायी साबित हुआ l
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ग्रामीण आबादी -कृषकों,मजदूरों व छोटे उद्यमियों को बैंकिंग सुविधा प्रदान करने हेतु शुरू किये गये थे l ये बैंक आर्थिक दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रो के विकास को बढावा देते है l अतः 2 अक्टूबर 1975 को एक साथ 5 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक - मुरादाबाद, गोरखपुर (उ.प्र.), भिवानी (हरियाणा ), जयपुर(राजस्थान), मालदा (प.बंगाल ) में स्थापित किये गये l इसका मुख्य उद्देश्य दूर दराज़ के ग्रामीण क्षेत्रो तक बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराना है l विजय केलकर समिति की सिफारिश पर कोई नया क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक खोलने पर रोक लगा दी गयी l इन बैंको में केंद्र ,राज्य और प्रवर्तक बैंक की पूंजी का अनुपात 50:15:35 होता है l वर्तमान में सिक्किम और गोवा को छोड़कर सभी राज्यों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक स्थित है l
भारतीय लघु औद्योगिक विकास बैंक की स्थापना सूक्ष्म,लघु,और माध्यम उद्योगों के विकास हेतु की गयी है l सिडबी लघु उद्योगों को उनके विकास हेतु वित्तपोषण करने वाली एक शीर्ष वित्तीय संस्था है l
सिडबी की स्थापना 2 अप्रैल 1990 में की गयी थी l इसका मुख्यालय लखनऊ में स्थित है l और देश भर में इसके 5 क्षेत्रीय कार्यालय स्थित है l लघु व मध्यम उद्योगों की श्रेणी में वे बैंक आते है जिनमे निवेशित पूंजी 10 करोड़ रूपए से अधिक न हो और इन उद्योगों के विकास में कई लोगो को रोजगार प्राप्त होता है l
सिडबी की स्थापना IDBI के एक सहायक बैंक के रूप में हुई थी l जो भी कार्य सिडबी की स्थापना के पहले IDBI करता था वह सभी कार्य सिडबी को हस्तांतरित कर दिए गये l सिडबी लघु, मध्यम व सूक्ष्म उद्योगों को वाणिज्यक बैंको, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको, सहकारी बैंको तथा राज्य औधोगिक विकास निगमों के माध्यम से सहायता प्रदान करता है l
लघु उद्योग विकास बैंक भारतीय पूंजी बाज़ार के अतिरिक्त विदेशी संस्थाओ से विदेशी ऋण प्राप्त कर सकता है और सिंगल विंडो सर्विस के तहत लघु उद्योगों को विदेशी मुद्रा ऋण भी उपलब्ध कराये जाते है l
सिडबी ने विश्व के सर्वोच्च 30 विकास विकास बैंको में अपनी जगह बना ली है l
देश में औधोगिकरण के स्तर को उन्नत बनाने व औधोगिक विकास से सम्बंधित कार्यो को पूर्ण करने के उद्देश्य से औधोगिक विकास बैंक की स्थापना की गयी l औधोगिक विकास के लिए औधोगिक वित्त की पूर्ति करना इस बैंक का मुख्य उद्देश्य है l बिना वित्त की व्यवस्था के औधोगिक विकास में योगदान देना संभव नही है l
अतः IDBI की स्थापना 1 जुलाई 1964 को RBI के पूर्णतः स्वाधिकृत सहायक संस्था के रूप में की गयी थी l 1976 तक इसने RBI की सहायक संस्था के रूप में कार्य किया इसके पश्चात उसे भारत सरकार के स्वामित्व में कार्य करने वाला एक स्वायत्त निगम बना दिया गया l
एक्सिम बैंक आयातकों और निर्यातको को वित्तीय सहयता प्रदान करने वाला बैंक है l एक्सिम बैंक की स्थापना आयत-निर्यात बैंक अधिनियम 1981 के तहत 1 जनवरी 1982 में की गयी थी l एक्सिम बैंक का मुख्यालय मुंबई में है l
एक्सिम बैंक की स्थापना से पूर्व निर्यातको व आयातकों को वित्तीय सहायता व विदेशी व्यापार को बढावा प्रदान करने का कार्य IDBI का अन्तराष्ट्रीय वित्त विभाग करता था l
2013 में वित्त मंत्री चिदंबरम ने महिला बैंक का प्रस्ताव संसद में रखा और 19 नवम्बर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री चितंबरम की उपस्थिति में इस बैंक का उद्घाटन किया l
भारत का पहला महिला बैंक "भारतीय महिला बैंक" है l इस बैंक का मुख्यालय दिल्ली में है l भारतीय महिला बैंक सार्वजानिक क्षेत्र का पहला बैंक है जिसकी निदेशक मंडल की सभी सदस्याएं महिलाएं है l इसके आलावा यह पहला सार्वजानिक बैंक है जो संसद के अधिनियम द्वारा बना l इस बैंक का मुख्य उद्देश्य है समाज के कमजोर वर्ग की महिलओं को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना ताकि वे आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बन सकें l इन बैंको से महिलाओं को शिक्षा और होम लोन प्राप्त हो सकता है l
महिला बैंक की 7 शाखाये पूरे देश में कार्यरत है l ये शाखाये मुंबई,अहमदाबाद,लखनऊ,बंगलुरु,कोलकाता,गुवाहाटी और चेन्नई में स्थित है
इस्लामिक बैंक भारत में तो पूर्ण रूप से या व्यापक रूप से कार्यरत नहीं है परन्तु हम जानकारी हेतु इसके बारे में भी पड लेते है के आख़िर इस्लामिक बैंक होते क्या है और उनके क्या कार्य होते है l
इस्लामी कानून व सिद्धांत पर कार्य करने वाले बैंकिंग व्यवस्था को इस्लामिक बैंक कहा जाता है l दुनिया भर के कई देशो में ऐसे बैंक कार्यरत है l इन बैंको के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि ये न ब्याज लेते है और न ब्याज देते है l इन बैंको के पैसे केवल इस्लामिक कार्यो में ही लगाए जा सकते है l
आधुनिक इस्लामिक बेंकिंग की शुरुआत 1963 में मिस्त्र में की गयी थी l इसी प्रकार दुबई में भी इस्लामिक बैंकिंग की शुरुआत 1975 में की गयी थी l भारत का पहला इस्लामिक बैंक कोच्चि में स्थापित किया गया l
बैंकिंग लोकपाल योजना की शुरुआत भारतीय बैंक ग्राहकों की समस्याओं व शिकायतों को सुलझाने हेतु प्रारंभ की गयी एक योजना है l बेंकिंग लोकपाल की स्थापना 1995 में की गयी थी l लेकिन 2002 व 2006 में इसमें संशोधन करके नयी नीति लागू कर दी गयी l पुराने नीति के अनुसार इसमें केवल वाणिज्यक बैंक व अनुसूचित प्राथमिक बैंक शामिल थे जबकि नयी नीति में इसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी शामिल किया गया l
इस योजना के अनुसार बैंक का कोई भी ग्राहक किसी भी बैंक के अधिकारी या सम्बंधित कर्मचारी की शिकायत व समय से सेवाएँ न मिलने पर इसकी शिकायत ई- मेल, डाक द्वारा बैंकिंग लोकपाल से कर सकते है l इस शिकायत का निवारण 30 दिन के अन्दर किया जाता है और यह एक निशुल्कः योजना है l बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता व ग्राहकों को सुविधा प्रदान करने के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना की शुरुआत की गयी l इस योजना के अंतर्गत बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति की जाती है जो कि एक अर्द्ध-न्यायिक अधिकारी होता है l
इस प्रकार भारत में ये सभी बैंक स्थित है जो विशिष्ट कार्यो को अपने अन्दर समेटे हुए है l इस प्रकार बैंकिंग व्यवस्था काफी हद तक अर्थव्यवस्था में योगदान देती है और देश के आर्थिक स्थिति और विकास को बढावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते है l