उत्तराखंड के प्रमुख दर्रे: आज के इस अर्टिकल में हम पढेंगे उत्तराखंड के प्रमुख दर्रो के विषय में l राज्य लोक सेवा आयोग एवं अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं में उत्तराखंड के दर्रो से सम्बंधित प्रश्न अवश्य आता है l इसके आलावा अन्य परीक्षाओं में भी इनसे सम्बंधित प्रश्न आते है l अतः परीक्षाओं की दृष्टि से ‘उत्तराखंड के प्रमुख दर्रे’ एक महत्वपूर्ण टॉपिक है l
उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल
तो चलिए जानते है उत्तराखंड के प्रमुख दर्रे कौन कौन से है, उत्तराखंड के जिलों व पड़ोसी देशों के मध्य स्थित दर्रे, उत्तराखंड के जिलों के मध्य स्थित दर्रे l
इन सबके विषय में जानने से पहले हम जानेंगे कि दर्रा किसे कहते है l
भारत का सबसे बड़ा बाँध कौन सा है ?
दर्रा किसे कहते हैं? (What is the Pass?)
पर्वतों के बीच स्थित सँकरे और प्राकृतिक मार्ग, जिससे होकर पर्वतों को पार किया जा सकता है, दर्रा कहलाते हैं|
सरल शब्दों में कहें तो पहाड़ों के बीच स्थित आवागमन के प्राकृतिक मार्ग को दर्रा कहते है l ये मार्ग कही पर संकरे और कही पर चौड़े होते है l
इन दर्रों का निर्माण मुख्य रूप से पहाड़ो से निकाली नदियों से होता है l नदियाँ पर्वतों को काटकर इन दर्रों का निर्माण करती है l इसके आलावा भूकंप एवं ज्वालामुखी से भी इन दर्रो का निर्माण होता है l
उत्तराखंड के प्रमुख व्यक्तियों के उपनाम
कभी-कभी दर्रा एवं घाटी को एक ही समझ लिया जाता है परन्तु यह दोनों अलग-अलग है l दर्रा एवं घाटी में अंतर को समझ लेते है l
दर्रा और घाटी में अंतर
दर्रा: पर्वतों के बीच स्थित सँकरे और प्राकृतिक मार्ग को दर्रा कहते है l
घाटी: दो पहाड़ो के बीच स्थित गहरे भाग को घाटी कहते है, सामान्यतः इसमें नदी का प्रवाह पाया जाता है।
उत्तराखंड का राज्य चिन्ह, पुष्प, पशु, पक्षी
चमोली व तिब्बत के बीच स्थित दर्रे
उत्तरकाशी व तिब्बत के बीच स्थित दर्रे
पिथौरागढ़ व तिब्बत के बीच स्थित दर्रे
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी कौन सा है ?
पिथौरागढ़ व चमोली के मध्य स्थित दर्रे
चम्पावत-पिथौरागढ़ के मध्य स्थित दर्रा
पिथौरागढ़ में स्थित दर्रा-
बागेश्वर - पिथौरागढ़ के मध्य स्थित दर्रा
ज्वालामुखी क्या होता है ज्वालामुखी के प्रकार
उत्तरकाशी - हिमाचल प्रदेश के मध्य स्थित दर्रा
दारमा - व्यास घाटी के मध्य स्थित दर्रा
बागेश्वर - चमोली के मध्य स्थित दर्रा
उत्तरकाशी - चमोली के मध्य स्थित दर्रा
माना दर्रा उत्तराखंड का एक प्रमुख दर्रा है l माना दर्रा को माना-ला, चिरबितया, चिरबितया-ला अथवा डुंगरी-ला के नाम से भी जाना जाता है। माना नाम "मणिभद्र आश्रम" से निकला है, जो माना शहर का प्राचीन नाम है।
भारत के लोग इसी दर्रे से होकर मानसरोवर और कैलाश पर्वत को जाते है l यह दर्रा समुद्र तल से 5545 मी की ऊंचाई पर स्थित है l यह NH-7 का अन्तिम छोर है l
उत्तराखंड के शहरों के प्राचीन नाम
माना दर्रा, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के भीतर माणा शहर से 24 किमी दूरी पर एवं उत्तराखंड के प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक तीर्थ बद्रीनाथ से 27 किमी दूर उत्तर में स्थित है l
माना दर्रा उत्तराखंड और तिब्बत के बीच एक प्राचीन व्यापार मार्ग था। माना दर्रा बद्रीनाथ से तिब्बत के गुगे प्रांत तक जाता है। यहाँ पर भारत ने दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल (परिवहन योग्य) सड़क बनाई है यह सड़क उत्तराखंड के चमोली-गढ़वाल जिले में चीन सीमा के 18,192 फीट की ऊंचाई पर स्थित है l इस सड़क को बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने बनाया है l
भारत के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे
माना दर्रा शीत ऋतु में 6 महीने बर्फ से ढका रहता है l
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ के अवसर पर महादेव का अपमान देखकर पार्वती ने क्षुब्द होकर कुमाऊं के इसी स्थान में ही अग्निप्रवेश किया था l ऐसा भी कहा जाता हैं कि पांडव यहां से ही स्वर्ग की ओर गए थे l
नीति दर्रा नीति गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है l नीति गाँव, जोशीमठ से 88 किमी की दूरी पर स्थित है l नीति दर्रा 5068 मी की ऊंचाई पर स्थित है जो की उत्तराखंड और तिब्बत को जोड़ता है l नीति दर्रा भी भारत और तिब्बत के बीच एक प्राचीन व्यापार मार्ग था। और 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इसे सील कर दिया गया था।
सर्दियों के मौसम में, नवंबर और मध्य मई के बीच, यह बर्फ से ढका रहता है और जाड़े के दिनों में ग्रामीण निचले क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं।
यह दर्रा उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित पिथौरागढ़ को तिब्बत के तकलाकोट शहर से जोड़ता है। लिपुलेख दर्रे को लिपुलेख ला भी कहा जाता है क्योंकि तिब्बती भाषा में ‘ला’ का अर्थ दर्रा होता है l लिपुलेख दर्रा 5,334 मी की ऊंचाई पर स्थित है l
यह दर्रा भारत से मानसरोवर एवं कैलाश पर्वत जाने के लिए विशेष रूप से इस्तेमाल होता है।
90 किमी लंबी धारचूला-लिपुलेख सड़क परियोजना का 8 मई 2020 को परियोजना का शुभारंभ किया था l भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो लिंक के जरिये इसका उद्घाटन किया था l
इस सड़क के निर्माण पर नेपाल ने आपत्ति जताई तो भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "हाल ही में पिथौरागढ़ ज़िले में जिस सड़क का उद्घाटन हुआ है, वो पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में पड़ता है. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री इसी सड़क से जाते हैं." l