भारत का सबसे बड़ा बाँध कौन सा है (Highest Dam in India in Hindi)

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भारत का सबसे बड़ा बांध (Bharat ka sabse bada bandh): आज के इस आर्टिकल में हम आपको भारत के सबसे बड़े बांध (Bharat ka sabse bada bandh) के बारे में बताने वाले है l 

अक्सर लोगो को भारत के सबसे बड़े बांध (Bharat ka sabse bada bandh) और सबसे लम्बे बाँध के बीच में confusion होता है तो आज के इस आर्टिकल में हम आपके इस confusion को दूर करने वाले है इसलिए इस आर्टिकल को पूरा अवश्य पढ़े l 

सबसे पहले आपको बता दें की भारत में कुल बांधो की संख्या लगभग 5334 है l विश्व में चीन और अमेरिका के बाद बांधो की सबसे ज्यादा संख्या भारत में ही है l 

सबसे पहले जान लेते है बाँध क्या होते है और उनका क्या कार्य होता है ?

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बाँध क्या होते है और उसके कार्य 

सरल शब्दों में कहे तो “बांध एक मानव निर्मित अवरोध होता है जो पानी के प्रवाह को रोकता है।” 

बांध आम तौर पर पानी की उपलब्धता बनाए रखने के प्राथमिक उद्देश्य को पूरा करते हैं l 

एक बांध का उपयोग पानी को इकट्ठा करने के लिए भी किया जा सकता है जिसे विभिन्न स्थानों के बीच समान रूप से वितरित किया जा सकता है।

बांधों द्वारा बनाए गए जलाशय न केवल बाढ़ को रोकते हैं बल्कि सिंचाई, मानव उपभोग, औद्योगिक उपयोग, जलीय कृषि और नौवहन जैसी गतिविधियों के लिए भी पानी प्रदान करते हैं। 

बांधों का प्रमुख उपयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है l 

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भारत का सबसे बड़ा बाँध: टिहरी बाँध

  • भारत में लगभग 5334 बांध है जिनमे से भारत का सबसे बड़ा और सबसे ऊँचा बाँध टिहरी बाँध है l 
  • यह बाँध उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले में स्थित है l 
  • टिहरी बांध की ऊंचाई 261 मी है l 
  • टिहरी बाँध भारत का ही नहीं वरन पूरे एशिया का सबसे ऊँचा बाँध भी है l 
  • टिहरी बाँध को हिमालय की दो प्रमुख नदियों भागीरथी नदी और भिलांगना नदी के संगम पर बनाया गया है l 
  • भागीरथी नदी गंगा नदी की सहायक नदी है l
  • यह भारत में सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट (2400 मेगावाट) है। 
  • यह एक तटबंध (embankment) बाँध है l 
  • टिहरी बांध सिंचाई, जल आपूर्ति और 1,000 मेगावाट के पनबिजली उत्पादन का कार्य करता है।
  • इस परियोजना के लिए कुल व्यय 1 अरब अमेरिकी डॉलर था।
  • इसकी लंबाई 575 मीटर (1,886 फीट), शिखर की चौड़ाई 20 मीटर (66 फीट) और आधार की चौड़ाई 1,128 मीटर (3,701 फीट) है। 
  • बांध 52 वर्ग किमी (20 वर्ग मील) के सतह क्षेत्र के साथ 3.54 घन किलोमीटर (2,870,000 एकड़ फीट) के जलाशय का निर्माण करता है।
  • टिहरी डैम द्वारा उत्पादित बिजली उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश को वितरित की जाती है।
  • इस बांध से 2400 मेगावाट बिजली उत्पादन, 270,000 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई और प्रतिदिन 102.20 करोड़ लीटर पेयजल दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को उपलब्ध कराया जाना है।

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टिहरी बाँध का इतिहास 

जवाहर लाल नेहरू के मंत्रालय के तहत टिहरी बांध परियोजना के लिए प्रारंभिक जांच 1961 में पूरी की गई थी और इसका डिजाइन 1972 में अध्ययन के आधार पर 600 मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्र के साथ पूरा किया गया था। 

1978 में इसका निर्माण शुरू हुआ लेकिन वित्तीय, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के कारण इसमें देरी हुई।

1986 में, यूएसएसआर (USSR) द्वारा भारत को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी, 

लेकिन वर्षों बाद राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह बाधित हो गई थी। 

भारत को परियोजना का नियंत्रण लेने के लिए मजबूर किया गया और सबसे पहले इसे उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के निर्देशन में रखा गया। हालाँकि, 1988 में बांध के प्रबंधन के लिए टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का गठन किया गया था l 

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टिहरी डैम के निर्माण का कार्य 2006 में पूर्ण हुआ l 

टिहरी डैम के निर्माण में 75% धन केंद्र सरकार द्वारा 25% धन राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया गया । 

21 नवंबर 2019 को, भारत सरकार ने NTPC लिमिटेड द्वारा टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (THDC) के अधिग्रहण को मंजूरी दी।

टिहरी बाढ़ से सम्बंधित पर्यावरणीय मुद्दे 

टिहरी बांध परियोजना का पर्यावरण संगठनों और क्षेत्र के स्थानीय लोगों द्वारा विरोधकिया गया l वकील और टिहरी बांध विरोधी संघर्ष समिति के संस्थापक वीरेंद्र दत्त सकलानी ने इस बड़ी परियोजना से जुड़े परिणामों की ओर लोगो का ध्यान आकर्षित किया।

पर्यावरण कार्यकर्ता सुंदरलाल बहुगुणा ने 1980 से 2004 तक टिहरी बांध विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया।

विरोध मुख्य रूप से वहाँ के निवासियों के विस्थापन और हिमालय की तलहटी के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में इतने बड़े बांध के निर्माण के पर्यावरणीय परिणामों के खिलाफ था।

सुंदरलाल बहुगुणा टिहरी बांध के विरोध में एक नारा दिया - जो इस प्रकार है, "हमें बांध नहीं चाहिए। बांध पहाड़ की तबाही है।"

उन्होंने इस क्षेत्र से 100,000 से अधिक लोगों के स्थानांतरण व पुनर्वास अधिकारों पर लंबी कानूनी लड़ाई का नेतृत्व किया और इस कारण से भी इस परियोजना के पूरा होने में देरी हुई।

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इस डैम के विरोध का एक कारण यह भी था कि इस डैम के निर्माण के कारण भागीरथी नदी का प्रवाह सामान्य से काफी कम हो गया l जिसके कारण वहाँ के स्थानीय निवासियों ने इसका विरोध किया l 

यह निर्माण चोपड़ा समिति ने भी इस बाँध के निर्माण के विरोध में एक विस्तृत रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि उत्तराखंड राज्य में हिमनदों के निवर्तन स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो जलविद्युत उत्पादन और बांधों के लिए निर्मित संरचनाओं के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर आपदा का कारण बन सकते हैं। 

बाँध के निर्माण से खतरा 

आपको बता दें कि बाँध हमारे लिए जितने फायदेमंद है उतने ही खतरनाक भी हो सकते है l यही कारण है कि कई लोग इसके पक्ष में और कई लोग इसका विरोध करते है l 

बांधों को नदी पारिस्थितिकी, वन्य जीवन, मछली आवास और अंततः मनुष्यों के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में देखा जाता है।

बाँध से जलीय जीवन प्रभावित होता है l 

बाँध निर्माण के कारण बढे पैमाने पर लोगो को अपने निवास स्थान से विस्थापन करना पड़ता है और लोगो के पुनर्वास को लेकर सरकार द्वारा अक्सर अनदेखी की जाती है l जिससे सामान्य जन जीवन काफी प्रभावित होता है l 

बाँध कई बार आपदाओं का कारण भी बन जाते है जिसके कारण बांधो को ‘उच्च खतरे वाला’ बुनियादी ढांचा माना जाता है l 

बाँध द्वारा नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है l 

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बांधो द्वारा निर्मित जलाशय कभी कभी भूकंप की उत्पत्ति का कारण भी बन जाते है l 

जो बांध अधिक पुराने हो जाते है वे अधिक खतरनाक हो जाते है क्योंकि उनकी कार्यक्षमता में गिरावट आ जाती है साथ ही उनके रख रखाव में भी अधिक खर्च होता है l 

भारत में लगभग 200 बांध ऐसे है जो की 100 साल से भी पुराने है l 

टिहरी बांध से उत्पन्न खतरा 

टिहरी बाँध परियोजना हिमालय के मध्य क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र में 6.8 से 8.5 तीव्रता के भूकंप आने का अनुमान लगाया गया है।

यह क्षेत्र अक्टूबर 1991 में 6.8 तीव्रता के भूकंप का स्थल था, जिसका केंद्र बांध से 53 किमी (33 मील) दूर था। 

बांध के समर्थकों का दावा है कि परिसर को 8.4 तीव्रता के भूकंप का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन कुछ भूकंपविज्ञानी कहते हैं कि इस क्षेत्र में 8.5 या उससे अधिक की तीव्रता वाले भूकंप आ सकते हैं। 

यदि इस तरह की तबाही होती, तो संभावित परिणामी बांध के टूटने से नीचे की ओर के कई शहर जलमग्न हो जाते, जिनकी आबादी लगभग आधा मिलियन है।

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पर्यावरणविदों का मानना है कि टिहरी बांध टूटने से ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर जैसे शहरों पर काफी खतरा उत्पन्न हो जायेगा और ये शहर जलमग्न हो जाएंगे l 

भारत का सबसे लम्बा बाँध कौन सा है ?

भारत का सबसे लम्बा बाँध: हीराकुंड बाँध

यदि अब आपसे पूछा जाए कि भारत का सबसे बड़ा (Bharat ka sabse bada bandh) और सबसे ऊँचा बाँध कौन सा है तो आप आसानी से उत्तर दे सकते है - टिहरी बाँध

अब जान कर लेते है भारत का सबसे लम्बा बांध कौन सा है (Bharat ka sabse lamba bandh)

  • भारत का सबसे लम्बा बाँध हीराकुंड बाँध है l 
  • यह बाँध ओड़िसा राज्य में संभलपुर से 15 किमी दूर स्थित महानदी पर बना है l
  • यह दुनिया का सबसे लंबा मिट्टी (Earthen) का बांध है। 
  • इस बाँध की कुल लम्बाई 25.8 किमी (16.0 मील)है जबकि मुख्य बांध की कुल लंबाई 4.8 किमी (3.0 मील) है l 
  • यह 133,090 वर्ग किमी (32.89 × 106 एकड़) के क्षेत्र को अपवाहित करता है, जो श्रीलंका के क्षेत्रफल के दोगुने से भी अधिक है।
  • इस बांध की कुल ऊंचाई 60.96 (200) फीट है l 
  • इस बांध का उपयोग बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए किया जाता है।
  • हीराकुंड बांध में तीन नहरें हैं, मुख्य नहर बरगढ़, सासन नहर और संबलपुर नहर।
  • 1956 में कृषि सिंचाई के साथ बिजली उत्पादन शुरू हुआ l 
  • यह परियोजना 'राऊरकेला स्टील प्लान्ट' को विद्युत प्रदान करती है।
  • बांध के तटबंध के कारण 743 वर्ग किमी लंबाई की एक कृत्रिम झील बन गई है। इसे 'हीराकुंड' कहा जाता है जो एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है l 
  • यह भारत की आजादी के बाद शुरू की गई पहली बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
  • हीराकुंड जलाशय को 12 अक्टूबर 2021 को रामसर स्थल घोषित किया गया था।
  • 1957 में परियोजना की कुल लागत ₹1,000.2 मिलियन थी।

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क्या आपको पता है कि हीराकुंड बांध के निर्माण में जितनी मिट्टी, कंक्रीट और अन्य सामग्री  का उपयोग हुआ है उससे कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अमृतसर से डिब्रूगढ़ तक लगभग आठ मीटर चौड़ी सड़क बन सकती है।

हीराकुंड बाँध का इतिहास 

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 12 अप्रैल 1948 को हीराकुंड बांध की आधारशिला रखी।

हालाँकि, बांध 1953 में बनकर तैयार हुआ था और औपचारिक रूप से 13 जनवरी 1957 को प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था और तब से यह पूरी तरह कार्य करने लगा l 

इस अर्टिकल को पढने के बाद आपको स्पष्ट हो गया होगा कि भारत का सबसे बड़ा और सबसे ऊँचा बाँध टिहरी बाँध है जबकि भारत का सबसे लम्बा बाँध हीराकुंड बाँध है l

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भारत का सबसे बड़ा बाँध FAQ’S

भारत का सबसे बड़ा बांध कौन सा है?

भारत का सबसे बड़ा बाँध टिहरी बाँध है l 

एशिया का सबसे बड़ा बांध कौन सा है?

एशिया का सबसे बड़ा एवं सबसे ऊँचा बाँध भी टिहरी बाँध ही है l 

भारत में कुल कितने बांध है?

जुलाई, 2019 तक, भारत में बड़े बांधों की कुल संख्या 5,334 है।

भारत का सबसे लंबा बांध कौन सा है और वह किस नदी पर बना है?

भारत का सबसे लम्बा बाँध हीराकुंड बाँध है l 

निष्कर्ष 

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको भारत के सबसे बड़े बाँध (Bharat ka sabse bada bandh) और सबसे लम्बे बाँध (Bharat ka sabse lamba bandh) दोनों के विषय में जानकारी दी है l 

यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो आप इसे share कर सकते है साथ ही यदि इस अर्टिकल से सम्बंधित कोई प्रश्न आपको पूछना हो तो आप नीचे दिए गए comment box में पूछ सकते है l 

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