Question
What were the gold coins called during the Gupta period?
गुप्त काल में सोने के सिक्कों को क्या कहा जाता था ?
Answer C.
C.- Gold coins were called 'Dinaras' during the Gupta period. Most gold coins were issued during the Gupta period.
- The Gupta period is considered the golden age of India.
Shri Gupta
- The founder of the Gupta Empire was Shri Gupta.
Ghatotkach
- After Shrigupta, his son Ghatotkacha sat on the throne. From 280 AD to 320 AD remained the ruler of the Gupta Empire.
Chandragupta I
- Chandragupta I (son of Ghatotkacha) is considered the ‘real founder’ of the Gupta Empire. He assumed the title of Maharajadhiraja.
- Chandragupta I was the first ruler to issue gold coins in the Gupta dynasty.
- The ‘Gupta era’ was established by Chandragupta I in 319-320 AD. There was a gap of 241 years between the ‘Gupta era’ and the ‘Shaka era’.
- To increase relations with the Lichhavis, he married princess Kumaradevi.
Samudragupta
- After Chandragupta I, his son Samudragupta ascended the throne in 335 AD. Vincent Smith gave him the title of 'Napoleon'.
- The ruler of Sri Lanka, Meghavarman, sent his ambassador to Samudragupta to get permission to build a Buddhist monastery at Bodh Gaya.
- Samudragupta had defeated 12 kings of South India and 9 kings of North India.
- Apart from being a good ruler, Samudragupta was also a good poet and musician. He was also given the title of 'Kaviraj'.
- In many coins, Samudragupta is shown playing the veena, which gives evidence of his music lover.
- Harishena was the minister and court poet of Samudragupta. The 'Prayag Prashasti' composed by Harishena gives accurate information regarding the accession, victory, empire expansion of Samudragupta.
- Samudragupta's name is found in the Kavyalankar Sutra as 'Chandraprakash'.
Chandragupta II
- After Samudragupta, his son Chandragupta II sat on the throne. Earlier, his elder brother Ramgupta was sitting on the throne, but he was weak and cowardly, killing Chandragupta II on the throne.
- During his reign, the Chinese Buddhist traveler Fahien traveled to India from AD 399 to AD 414. He described India as a happy and prosperous country. The reign of Chandragupta II has also been called the Golden Age.
- During the reign of Chandragupta II, his first capital was Pataliputra and his second capital was Ujjayini.
- The period of Chandragupta II is called the golden age of ‘art and literature’.
- To commemorate the victory over the Shakas, he issued silver coins and assumed the title of Shakari, and issued coins of 'viagra style'.
- There were nine gems in his court - Kalidas, Dhanvantari, Kshapanak, Amarsimha, Shank, Betal Bhatt, Ghatkarpar, Varahamihira, Varruchi, Aryabhata, Visakhadatta, Shudrak, Brahmagupta, Vishnusharma, and Bhaskaracharya were notable.
- Brahmagupta propounded the Brahmasiddhanta, which was later propounded by Newton in the name of gravity.
- Chandragupta II was the first ruler to introduce silver coins.
Kumaragupta I
- After Chandragupta II, his son Kumaragupta I ascended the throne in 415 AD.
- Nalanda University was established during his reign.
- Most of the records of Gupta rulers have been received from Kumaragupta. He introduced more and more peacock-shaped silver coins.
Skanda Gupta
- After Kumaragupta's death, his son Skandagupta ascended the throne. He first defeated and conquered Pushyamitra.
- It is known from the inner column inscription that the 'First Huna invasion' took place during its time and it thwarted the Huna invasion.
- Skandagupta has been called ‘Shakropan’ in the Kahom inscription.
- Junagadh inscription shows that the dam of Sudarshan lake built during the period of Skandagupta Maurya was rebuilt. The task of reviving this lake was entrusted to Chakrapalit, the son of Parnadatta, the governor of Saurashtra.
- Vishnugupta was the last ruler of the Gupta dynasty.
So the correct answer is option A.
C.- गुप्त काल में सोने के सिक्को को ‘दीनार’ कहा जाता था l गुप्त काल में ही सर्वाधिक सोने के सिक्के जारी किये गए l
- गुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग माना जाता है।
श्री गुप्त
- गुप्त साम्राज्य के संस्थापक श्री गुप्त थे l
घटोत्कच
- श्रीगुप्त के बाद उसका पुत्र घटोत्कच गद्दी पर बैठा। 280 ई. से 320 ई. तक गुप्त साम्राज्य का शासक बना रहा।
चन्द्रगुप्त I
- चन्द्रगुप्त I (घटोत्कच के पुत्र) को गुप्त साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है l इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी l
- गुप्त वंश में सबसे पहले सोने के सिक्के चलाने वाले शासक चन्द्रगुप्त I ही थे l
- चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत् की स्थापना 319-320 ई. में की थी। गुप्त संवत् तथा शक संवत् के मध्य 241 वर्षों का अंतर था।
- लिच्छावियों के साथ सम्बन्ध बढ़ाने के लिए उसने राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया l
समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त प्रथम के बाद उसका पुत्र समुद्रगुप्त 335 ई में गद्दी पर बैठा l विन्सेंट स्मिथ ने इन्हें ‘नेपोलियन’ की उपाधि दी।
- श्रीलंका के शासक मेघवर्मन ने बोधगया में एक बौध्द विहार के निर्माण की अनुमति पाने हेतू अपना राजदूत समुद्रगुप्त के पास भेजा था।
- समुद्रगुप्त ने दक्षिण भारत के 12 एवं उत्तर भारत के 9 राजाओं को पराजित किया था l
- समुद्रगुप्त एक अच्छा शासक होने के साथ साथ एक अच्छा कवि और संगीतज्ञ भी था l उसे ‘कविराज’ की उपाधि भी प्रदान की गयी l
- कई सिक्को में समुद्रगुप्त को वीणा बजाते हुए दिखाया गया है जिससे उसके संगीत प्रेमी होने का साक्ष्य मिलता है l
- हरिषेण, समुद्रगुप्त का मन्त्री एवं दरबारी कवि था। हरिषेण द्वारा रचित ‘प्रयाग प्रशस्ति’ से समुद्रगुप्त के राज्यारोहण, विजय, साम्राज्य विस्तार के सम्बन्ध में सटीक जानकारी प्राप्त होती है।
- काव्यालंकार सूत्र में समुद्रगुप्त का नाम 'चन्द्रप्रकाश' मिलता है।
चन्द्रगुप्त II
- समुद्रगुप्त के बाद उसका पुत्र चन्द्रगुप्त II सिंहासन पर बैठा l इससे पहले इसका बड़ा भाई रामगुप्त सिंहासन पर बैठा था परन्तु वह दुर्बल एवं कायर था जिसकी हत्या कर चन्द्रगुप्त II सिंहासन पर बैठा l
- उसके शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाहियान ने 399 ईस्वी से 414 ईस्वी तक भारत की यात्रा की। उसने भारत का वर्णन एक सुखी और समृद्ध देश के रूप में किया। चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को स्वर्ण युग भी कहा गया है।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में उसकी प्रथम राजधानी पाटलिपुत्र और द्वितीय राजधानी उज्जयिनी थी।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल कला-साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है।
- शकों पर विजय के उपलक्ष्य में उसने चांदी के सिक्के जारी किए और शकरी की उपाधि धारण की और ‘व्याध शैली’ के सिक्के चलाये ।
- उसके दरबार में नौ रत्न थे- कालिदास, धन्वन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटकर्पर, वाराहमिहिर, वररुचि, आर्यभट्ट, विशाखदत्त, शूद्रक, ब्रम्हगुप्त, विष्णुशर्मा और भास्कराचार्य उल्लेखनीय थे।
- ब्रह्मगुप्त ने ब्राह्मसिद्धान्त प्रतिपादित किया जिसे बाद में न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नाम से प्रतिपादित किया।
- चांदी की सिक्के शुरू करने वाला पहला शासक चन्द्रगुप्त II ही था l
कुमारगुप्त I
- चन्द्रगुप्त II के बाद उसका पुत्र कुमारगुप्त I 415 ई में गद्दी पर बैठा l
- इसी के शासनकाल में नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी।
- गुप्त शासकों में सर्वाधिक अभिलेख कुमारगुप्त के ही प्राप्त हुए हैं। उसने अधिकाधिक संख्या में मयूर आकृति की रजत मुद्राएं प्रचलित की थीं।
स्कन्दगुप्त
- कुमारगुप्त के बाद मृत्यु के बाद उसका पुत्र स्कन्दगुप्त सिंहासन पर बैठा। उसने सर्वप्रथम पुष्यमित्र को पराजित किया और उस पर विजय प्राप्त की।
- भीतरी स्तम्भ लेख से ज्ञात होता है कि ‘प्रथम हूण आक्रमण’ इसकी के समय हुआ था और इसने हूण के आक्रमण को विफल कर दिया l
- कहोम अभिलेख में स्कन्दगुप्त को ‘शक्रोपन’ कहा गया है।
- जूनागढ़ अभिलेख से पता चलता है कि स्कन्दगुप्त मौर्यकालीन निर्मित सुदर्शन झील के बाँध का पुनर्निर्माण करवाया। इस झील के पुनरुद्धार का कार्य सौराष्ट्र के गवर्नर पर्णदत्त के पुत्र चक्रपालित को सौंपा गया।
- गुप्त वंश का अंतिम शासक विष्णुगुप्त था l
इसलिए सही उत्तर विकल्प A है l
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